योग पाठशाला : मंडूक आसन पेट की समस्या और डायबिटीज वालो के लिए रामबाण
We News 24» रिपोर्टिंग / एडिटर एंड चीफ ,दीपक कुमार
नई दिल्ली : वी न्यज 24 योग पाठशाला “योग” यह शब्द अपने आप में ही पूर्ण विज्ञान के समान है जो शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट बनाता है। योग का इतिहास करीबन 5000 साल पुराना है, जिसे प्राचीन भारतीय दर्शन में मन और शरीर के अभ्यास के रूप में जाना जाता है। योग की विभिन्न शैलियाँ शारीरिक मुद्राएँ, साँस लेने की तकनीक और ध्यान या विश्राम को जोड़ती हैं।
हाल के वर्षों में, योग ने शारीरिक व्यायाम के एक रूप के रूप में अपना एक अलग स्थान बनाया है और आज यह दुनियाभर में लोकप्रिय हो चुका है जो मन और शरीर के बेहतर नियंत्रण और कल्याण को बढ़ाता है।योगाभ्यास में कई अलग-अलग प्रकार के योग और कई अनुशासन सम्मिलित हैं।आइये आज हम आपको वी न्यज 24 योग पाठशाला में बताने जा रहे है ,मंडूक आसन के बारे में
मंडूक आसन मेढ़क जिसे संस्कृत भाषा में मंडूक कहते हैं उसकी बनावट के आधार पर इस आसन का नामकरण किया गया है। इस आसन की पूर्ण स्थिति में आने पर हमारे शरीर की आकृति मेंढक जैसी बनती है इसीलिए इसे मंडूकासन कहते हैं। मंडूकासन के बारे में संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं .भारतीय योग संस्थान के योग शिक्षक कैलाश रानी
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मंडूक आसन करने का विधि
सबसे पहले वज्रासन में बैठें। घुटने मिले हुए तथा पीछे एड़िया खुली हुई पैर के अंगूठे एक-दूसरे से मिले हों तथा नितंब एड़ियों पर टिके हुए होने चाहिए। दोनों हाथों की मुट्ठी बंद करें, मुट्ठी बंद करते समय अपने अंगूठे मुट्ठी के अंदर बंद कर लें। मुठ्ठी के अंगूठे वाला भाग ऊपर पेट की ओर तथा कनिष्ठा अंगुली वाला भाग जांघों की तरफ रखते हुए अपनी मुट्ठी नाभि के इर्द-गिर्द लगा दें।
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एक लंबी श्वास अंदर भरकर पूरी श्वास बाहर छोड़ते हुए सामने की ओर झुकें तथा अपनी मुट्ठी तथा नीचे वाले भाग को अपनी जांघों पर लगा कर अपनी छाती घुटनों के ऊपर ले आएं। सिर ऊपर की ओर उठा हुआ तथा दृष्टि सामने रखें। सांसों की गति सामान्य कर दें। 15 सेकंड से आधा मिनट तक इसी अवस्था में रुकें। धीरे-धीरे श्वास भरते हुए वापस वज्रासन की अवस्था में आ जाएं। पुन: इसी क्रम को दोहरा कर तीन से चार बार इसका अभ्यास करें।
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मंडूक आसन करने का लाभ
यह आसन हमारे पैंक्रियाज को सक्रिय कर मधुमेह रोकने के लिए अत्यंत प्रभावशाली अभ्यास है। मोटापा तथा वजन को नियंत्रित करता है। फेफड़ों की समस्या दूर कर श्वसन क्षमता को बढ़ाता है। पेट से जुड़े सभी प्रकार की समस्याओं जैसे कब्ज, गैस और अपच आदि को दूर करता है। पीठ की मांसपेशियां मजबूत होकर लचीली बनती हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत कारगर अभ्यास है।
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मंडूक आसन करते समय सावधानियां
घुटना, पेट दर्द, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन, अनिद्रा तथा अल्सर रोग से ग्रसित लोग इसका अभ्यास न करें। मासिक धर्म के समय तथा गर्भावस्था के दौरान इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। किसी अन्य गंभीर रोग से पीड़ित होने पर कुशल योग प्रशिक्षक से सलाह अवश्य लें।
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