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    जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों ने ली उत्तराखंड के जवान की जान

    जम्मू कश्मीर /समाचार 
    श्रीनगर:कश्मीर घाटी में अक्सर सुरक्षाबलों पर आरोप लगता है कि वह बिना बात गोली चला मासूम नौजवानों जो अक्सर हाथों में पत्थर लिए आतंकियों के हिंसक समर्थक होते हैं, पर गोली चला देते हैं। तथाकथित मानवाधिकारवादी संगठन और कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक संगठन भी इस पर खूब हाय-तौबा करते हैं। लेकिन उत्तराखंड के रहने वाले सैन्यकर्मी राजेंद्र सिंह की जान इन्हीं पत्थरबाजों ने ले ली, लेकिन कोई चर्चा नहीं हो रही है। शहीद जवान अगर चाहता तो गोली दाग अपनी जान बचा सकता था, उसके साथी चाहते तो गोलियां दाग सकते थे। लेकिन वह यह सोच कर शांत रहे कि पत्थर बेशक इनके हाथ में हैं, लेकिन पथराव कराने वाला दुश्मन दूर है। इसलिए इन पर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    सिपाही राजेंद्र सिंह सेना के उस क्विक रिएक्शन दस्ते का हिस्सा था, जो गत रोज सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों व कर्मियों के वाहनों के काफिले की सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए था। वीरवार की शाम को करीब छह बजे जब यह काफिला जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अनंतनाग में टी-जंक्शन पर पहुंचा तो अातंकियों व अलगाववादियों की समर्थक हिंसक भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। सिपाही राजेंद्र सिंह व उसके साथियों ने अपने वाहन से नीचे आकर पथराव कर रही भीड़ को चेतावनी देते हुए रास्ता खाली करने को कहा। लेकिन किसी ने नहीं सुना और पथराव की तीव्रता बड़ा दी।
    इसी पथराव में एक पत्थर सिपाही राजेंद्र सिंह के सिर पर लगा और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके अन्य साथियों ने तुरंत उसे वाहन में डाला और किसी तरह पथराव कर रही भीड़ में से सभी वाहनों को वहां से निकाला। राजेंद्र सिंह को उपचार के लिए श्रीनगर स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां वह अपने जख्मों की ताव न सहते हुए चल बसा।
    शहीद राजेंद्र सिंह को आज बादामी बाग स्थित चिनार कोर मुख्यालय में आयोजित एक भावपूर्ण समारोह में अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके बट, राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह समेत सेना और पुलिस के आलाधिकारियों व जवानों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक और फूल मालाएं भेंट कर उसे अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उत्तराखंड स्थित बडेना पिथाैरागढ़ में उसके परिजनों के पास भेजा गया।
    रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि अगर सिपाही राजेंद्र सिंह और उनके साथ चाहते तो वह पथराव कर रही भीड़ पर गोली चला सकते थे, लाठियां इस्तेमाल कर सकते थे। लेकिन सभी यही मानकर शांत रहे कि यह अपने ही बच्चे हैं, इन पर गोली चलाना या लाठी चलाना उचित नहीं है। उन्होंने संयम बरता और सिपाही राजेंद्र सिंह शहीद हो गए। 

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