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    दिल्लीवालों प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर ,प्रतिरोधी तंत्र फेल

    WAORS /हिंदी न्यूज़/राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र /दिल्ली

    दिल्लीवालों  प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर प्रदूषण का जहर दिल्लीवालों की रगों में भी घुस रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो बेहद महीन प्रदूषक कण पीएम 1 सांस के जरिए रक्तप्रवाह तक में शामिल हो जाते हैं। आमतौर पर प्रदूषण का स्तर पीएम 10 और पीएम 2.5 के जरिए मापा जाता है। लेकिन, केंद्र सरकार की संस्था सफर पीएम 1 कणों के प्रभावों पर भी अलग से अध्ययन की शुरुआत करने जा रही है। 

    दिल्ली में होने वाले 40 फीसदी प्रदूषण के लिए वाहन जिम्मेदार 
    दिल्ली में होने वाले 40 फीसदी तक प्रदूषण के लिए वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन को जिम्मेदार माना जाता है। निर्माण और ध्वस्तीकरण से निकलने वाले रेत-धूल और सीमेंट के कण व सड़कों पर उड़ने वाली धूल भी प्रदूषण का बड़ा कारण माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर निर्माण और ध्वस्तीकरण से निकलने वाला प्रदूषण और सड़क पर उड़ने वाले धूल कणों का आकार बड़ा होता है और इन्हें पीएम 10 कहा जाता है। विशेषज्ञ अब इससे भी छोटे प्रदूषक कणों यानी पीएम 1 के प्रभावों की पड़ताल कर रहे हैं। 
    10 माइक्रोमीटर तक आकार वाले कणों को पीएम 10 कहा जाता है। जबकि, 2.5 माइक्रोमीटर तक आकार वाले कणों को पीएम 2.5 में शामिल किया जाता है। हवा में इनका स्तर 60 तक रहने पर उसे साफ सुथरा माना जाता है। जबकि, इससे भी छोटे कणों को पीएम 1 में शामिल किया जाता है।  
    प्रतिरोधी तंत्र फेल
    पीएम 10 व पीएम 2.5 कणों को नाक के अंदर उगे हुए बाल अंदर जाने से रोकते हैं। लेकिन, पीएम 1 जैसे छोटे कणों को रोक पाना संभव नहीं होता। ये इंसानी बाल से 70 गुना तक ज्यादा महीन हो सकते हैं। इसलिए ये फेफड़ों के जरिए इंसान के रक्त में भी प्रवेश कर जाते हैं।  
    Posted By:काजल जयसवाल 

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