पंचकुला :वर्तमान समय के कोरोना काल में हर व्रत, पर्व, त्योहार, धार्मिक अनुष्ठान बहुत सीमित रुप से, उसके महत्व को ध्यान में रख कर, सार्वजनिक स्थानों, धर्मस्थलों की बजाए घरों या ऑनलाइन मनाए जा रहे हैं। आप भी पूरी निष्ठा से मनाएं परंतु सभी नियमों का पालन करते हुए ताकि गलती से भी न हम संक्रमित हों न दूसरों को होने दें। इस तीज महोत्सव को कैसे मनाया जाता है, इसकी सांस्कृतिक परम्पराओं के बारे में बता रहे हैं पंचकुला से ज्योतिर्विद् मदन गुप्ता सपाटू।
भारत में इस समय वर्षा ऋतु होने के कारण, प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है, तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं नए कपड़े, गहने पहन कर अपने मायके/ पीहर जातीं हैं। महिलाएं पारम्परिक परिधान और पूर्ण श्रृंगार धारण किए समूह में लोक गीतों को गा-गाकर झूले का आनंद लेतीं हैं।
हरियाली तीज 23 जुलाई गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज या श्रावणी तीज का पर्व मनाया जाता है। कुछ जगह इसे कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। तीज का त्योहार सुहागन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं। मां पार्वती और शिवजी की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं। इस दिन महिलाएं बागों में झूला झूलती हैं और अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं।
तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है। सुहागन स्त्रियों के लिए हरियाली तीज पर्व बहुत मायने रखता है। क्योंकि सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं।शुष्क और गर्म गर्मी के अंत के बाद, हरियाली तीज पृथ्वी के नए और मोहक दिखने का उत्सव है। तीज महोत्सव पर, विवाहित महिलाएं अपने माता-पिता की जगह पर जाती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और एक नई दुल्हन की तरह तैयार हो जाती हैं। कुछ स्थानों पर, महिलाओं को झूलों और सुंदर मौसम का आनंद मिलता भी है।
हरियाली तीज की तिथि व मुहूर्त तृतीया तिथि - गुरुवार, 23 जुलाई 2020 तृतीया तिथि प्रारंभ - 19:21 बजे (22 जुलाई 2020 ) से तृतीया तिथि समाप्त - 17:02 बजे (23 जुलाई 2020 ) तक
हाथों में मेहंदी तीज में मेहंदी लगाने से संबंधित कथा का पुराणों में वर्णन मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत करके मां पार्वती और भोलेनाथ से अटल सुहाग की कामना करती हैं। दरअसल, मां पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेंहदी रचाई थी। फिर क्या था मां पार्वती की हथेली में रची मेहंदी को देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें स्वीकार कर लिया।
मेहंदी के औषधीय गुण भी हैं मेहंदी केवल हाथों को सजाने के लिए नहीं होती है। बल्कि इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। कहा जाता है कि मेहंदी को सिर, पंजो, हथेली और तलवों में लगाने से शीतलता महसूस होती है। इससे महिलाएं शांत रहती हैं। उनका चिड़चिड़ापन दूर होता है और परिवार में प्रेम-सौहार्द बढ़ता है। जोड़ों के दर्द में भी मेहंदी से आराम मिलता है। आध्यात्मिक मान्यता है कि मेहंदी लगाने से बुध और शुक्र ग्रह भी बलवान होता है। इससे मन शांत रहता है, दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता और बुद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हरियाली तीज की पूजा विधि महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं. मान्यता के अनुसार यह त्योहार तीन दिन का होता है, लेकिन आजकल इसे एक ही दिन मनाया जाने लगा है. इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस मौके पर विवाहित महिलाएं नए वस्त्र पहनती हैं और हाथों में मेहंदी और पैरों में अल्ता लगाती हैं. इस मौके पर मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है.
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। हरियाली तीज की पूजा विधि इस प्रकार है.. 1.इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें। 2.मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें। 3.हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।
तीन बातों को त्यागने की परंपरा हरियाली तीज पर हर महिला को तीन बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। ये तीन बातें इस प्रकार है... 1. पति से छल-कपट 2. झूठ व दुर्व्यवहार करना 3. परनिंदा (दूसरो की बुराई करने से बचना)
हरियाली तीज का पौराणिक महत्व हिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है। हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
हरियाली तीज पर होने वाली परंपरा नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। हरियाली तीज के मौके पर लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है।
1. हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन नवविवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है। 2. इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी लगाती हैं। इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है। यह महिलाओं की सुहाग की निशानी है। 3. हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। यदि सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दी जाती है। 4. इस दिन महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा करती हैं। 5. हरियाली तीज पर महिलाएं व युवतियां खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं।
तीज के व्रत पर खाने पीने से जुड़ी जरूरी बातें- हरियाली तीज का व्रत निर्जल रखा जाता है। ऐसे में सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए जरूरी है कि जब आप इतने लंबे समय तक निर्जल रहने के बाद कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है। ऐसा करने से आप स्वास्थ का भी ख्याल रख सकते हैं- - कुछ भी खाने से पहले एक गिलास पानी पी लें। - ध्यान रखें कि निर्जल व्रत के तुरंत बाद हेवी भोजन न करें। घंटों तक खाली पेट रहने के बाद एकदम से पेट भरकर खाना पाचन से जुड़ी समस्या दे सकता है। - कुछ हेवी खाने से पहले कुछ तरल लें. आप चाहें तो नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी या कोई फ्रूट जूस ले सकते हैं। - लंबे समय तक निर्जल रहने के बाद पोष्टिक आहार लेना जरूरी है. कोशिश करें कि आप अपने आहार में प्रोटीन को शामिल करें। - निर्जल व्रत के बाद दही खाना अच्छा विकल्प है। - आप अपने आहार में फ्रूट चाट शामिल करें।
ज्योतिष - तीज और विवाह राशि अनुसार करें ये उपाय, जल्द बनेगा शादी का संयोग वास्तव में तीज का संबंध शीघ्र विवाह से ही है. जिन लोगों की शादी नहीं हुई है या जिनकी शादी में कोई अड़चन आ रही है, तो हम आपको बता रहे हैं कुछ उपाय जिन्हें करने से आपकी शादी का संयोग जल्द से जल्द बन जाएगा। मेष- तीज के दिन रेशमी वस्त्र शिव जी को अर्पित करें. साथ ही शिव जी को पंचामृत अर्पित करें। वृषभ- शिव जी और पार्वती को गुलाब के पुष्प अर्पित करें। शिव जी को सुगंध अर्पित करें। मिथुन- तीज के दिन मां पार्वती को हल्दी और शिव जी को सफेद चंदन अर्पित करें। हरे वस्त्र धारण करें। कर्क- शिव जी का श्रृंगार करें और साथ ही नमः शिवाय का जाप करें। सिंह- शिव पार्वती को पीले फूल की माला अर्पित करें और रुद्राष्टकम का पाठ करें। कन्या- शिव जी को बेल पत्र अर्पित करें। मेहंदी जरूर लगाएं। तुला- शिव जी को पंचामृत अर्पित करें। श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें। वृश्चिक- इस दिन शिव जी को दूर्वा अर्पित करें। पीले वस्त्र धारण करें। धनु- शिव पार्वती को एक साथ सुगन्धित पुष्प अर्पित करें और लाल वस्त्र धारण करें। मकर- शिव जी के मंदिर में घी का दीपक जलाएं। सफेद चंदन शिवलिंग पर अर्पित करें। कुंभ- शिव जी को सफेद पुष्प अर्पित करें। गुलाबी वस्त्र धारण कर पूजा करें। मीन- शिव और पार्वती को पीले वस्त्र अर्पित करें। साथ ही श्रृंगार का सामान भेंट करें।
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