झारखंड में पत्थलगड़ी का भुत एक फिर निकला बाहर, झारखंड उच्च न्यायालय के पास पत्थर गाड़ने की कोशिश की
We News 24 Hindi » रांची / झारखंडदिनेश महतो की रिपोर्ट
रांची: झारखंड में पत्थलगड़ी (Pathalgadi Movement) का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है। करीब 200 पत्थलगड़ी समर्थक सोमवार को अचानक राजधानी रांची के हाईकोर्ट (Ranchi High Court) भवन के निकट आ पहुंचे। राज्य के सिमडेगा, खूंटी, गुमला और पश्चिमी सिंहभूम जिले से बड़ी संख्या में आए पत्थलगड़ी समर्थक पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में थे। वह हाई सिक्योरिटी जोन में स्थित उच्च न्यायालय के पास जमा होने लगे। हालांकि, लोगों की भीड़ जुटते देख पुलिस-प्रशासन भी तत्काल सक्रिय हो गया।
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रांची में जुटे 200 पत्थलगड़ी समर्थक, पुलिस ने समझाकर भेजा वापस
करीब 200 की संख्या में आए पत्थलगड़ी समर्थक अपने साथ पत्थर की शिलापट्ट लेकर आए थे, जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों की बात लिखी हुई थी। तुरंत ही मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की और किसी तरह से वापस वापस भेजने में सफल रहे। पत्थलगड़ी करने आए लोगों ने खुद को कुडुख नेशनल काउंसिल नामक संगठन का सदस्य बताया।
क्या कहना है इससे जुड़े सदस्यों का
इस काउंसिल के सदस्य धनेश्वर टोप्पो ने कहा कि आदिवासियों को संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत आदिवासी प्रशासन और नियंत्रण का अधिकार राष्ट्रपति की ओर से दिया गया है। साथ में संविधान आदेश-229 भी है, जो प्रधानमंत्री, लोकसभा, विधानसभा और राज्यपाल से भी बड़ा अधिकार क्षेत्र है। इसे काटने की क्षमता, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को भी नहीं है। इसे 71 सालों से छिपाकर रखा गया था, जिसका पर्दाफाश हो चुका है।
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राज्यपाल से मिलने की है तैयारी
काउंसिल सदस्यों ने राज्यपाल से मुलाकात करने की बात भी कही है। समर्थकों ने बताया कि अगर बात नहीं बनी तो जल्द ही 50 हजार लोग राजधानी में आकर प्रदर्शन करेंगे। 2019 में भी पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में खूंटी, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, गुमला और पश्चिमी सिंहभूम जिले में पत्थलगड़ी की दर्जनों घटनाएं हुई थी। इस मामले में तत्कालीन सरकार में देशद्रोह के कई मामले दर्ज किए गए थे और करीब दस हजार लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, हेमंत सोरेन सरकार ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक में ही इन मुकदमों को वापस लेने का ऐलान किया था।
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