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    सारी विवाद और अटकलों के बिच, मिल गया जनसंख्या नियंत्रण कानून को केविनेट की मंजूरी




    We News 24»लखनऊ, उत्तर प्रदेश

    रणधीर गुप्ता की  रिपोर्ट


    लखनऊ:  यूपी में नई जनसंख्या नियंत्रण लागू करने के बाद इसे अब मंजूरी दे दी गई है। बकरीद के पर्व पर बुधवार को यूपी कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी। आपको बता दें कि यूपी में बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 जुलाई को इस नीति को जारी किया था। नई जनसंख्या नीति को जारी करते हुए उन्होंने कहा कि था कि प्रजनन दर पर नियंत्रण करने की जरूरत है।

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     यूपी जनसंख्या नीति 2021 में सभी समुदायों में जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जरूरत पड़ने पर कानून बनाने की बात भी कही गई है। जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त करने, निवारण योग्य मातृ मृत्यु और बीमारियों की समाप्ति, नवजात और पांच वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों की निवारण योग्य मृत्यु को समाप्त करना और उनकी पोषण स्थिति में सुधार करना, किशोर-किशोरियों के लिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा पोषण से सम्बंधित सूचनाओं और सेवाओं में सुधार, वृद्धों की देखभाल और कल्याण में सुधार के उद्देश्य तय किये गये हैं।


    2030 तक प्रजनन दर 1.9 तक लाने का लक्ष्य

    नई नीति के जरिये वर्ष 2026 तक महिलाओं द्वारा सूचित व स्वनिर्णय के माध्यम से सकल प्रजनन दर 2.1 और वर्ष 2030 तक इसे 1.9 पर लाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। राज्य में परिवार नियोजन, खासतौर पर सुदूरवर्ती व सेवाओं से वंचित समुदाय तक अधूरी मांग को पूरा करने के लिए आधुनिक गर्भ निरोधक प्रचलन दर को बढ़ाने के लिए रणनीति को प्राथमिकता दी जाएगी। यह प्रयास भी किया जाएगा कि विभिन्न समुदायों, संवर्गों और भौगोलिक क्षेत्रों में प्रजनन दर अधिक है उनमें जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम चलाए जाएं। 

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    इस नीति को लागू करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि राज्य की जनसंख्या के नियंत्रण के लिए होने वाले प्रयासों में यह बात खासतौर पर ध्यान रखनी होगी कि इन प्रयासों से कहीं देश व प्रदेश की जन सांख्यकीय असंतुलित न हो जाए। कोई विपरीत प्रभाव न पड़े इसलिए इस बारे में हर तबके को जागरूक करना होगा। अर्न्तविभागीय समन्वय से प्रयास किये जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में सिर्फ स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा तथा परिवार कल्याण विभाग ही नहीं बल्कि महिला एवं बाल विकास, बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग के साथ शिक्षा से जुड़े संस्थानों को जोड़ना होगा तभी बेहतर परिणाम मिल सकेंगे।

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