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    रेलवे की सराहनीय पहल ,दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की 15 ट्रेनों में HOG प्रक्रिया अपनाकर बनी ग्रीन ट्रेन





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    We News 24»रायपुर, छत्तीसगढ़


    रायपुर : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने  हेड ऑन जनरेशन (HOG) प्रणाली से  पिछले 16 महीनों में 15 करोड़ के डीजल बचाए है। अत्याधुनिक HOG प्रौद्योगिकी सिस्टम अपना कर South East Central Railway के 15 ट्रेनें पर्यावरण के लिहाज से भी ठीक माने जाने वाली  हरित यानी ‘ग्रीन’ ट्रेन हो गई है । अब ये ट्रेनें महंगे डीजल ईंधन को जलाने की बजाय ओवर हेड उपकरण (OHE ) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली ले कर प्रकाश और एयर कंडीशनिंग के लिए कोचों को विद्युत आपूर्ति कर रही है। बाकि दूसरी ट्रेने अभी एलएचबी आधारित ट्रेनों के कोचों के लिए विद्युत उत्पादन के सबसे आम तरीके को एंड ऑन जेनरेशन (EOG ) का प्रयोग कर रही है। 


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    प्रत्येक एलएचबी गाडिय़ों पर कोचों को विद्युत आपूर्ति करने के लिए डीजल इंजन ले जाने वाली पावर कार के दो सेट होते थे जिसमें कोच में लाइट और एयर कंडीशनिंग के लिए बिजली की आपूर्ति ट्रेन के दोनों सिरों पर लगाए गए विद्युत कारों में उपलब्ध डीजल जेनरेटर सेट के माध्यम से की जाती है । अब इन सभी 15 ट्रेनों में इंजन के माध्यम से ओवर हेड उपकरण (ओएचई) से विद्युत की सप्लाई की जा रही है।


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    ये ट्रेनें HOG प्रणाली पर आधारित

    बिलासपुर-चेन्नई एक्सप्रेस, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर-पुणे, एक्सप्रेस, बिलासपुर-एर्नाकुलम एक्सप्रेस, बिलासपुर-पटना एक्सप्रेस, बिलासपुर-भगत की कोठी एक्सप्रेस, बिलासपुर-बीकानेर एक्सप्रेस, सम्पर्क क्रांति एक्स्प्रेस, दुर्ग-निज़ामुद्दीन, हमसफर एक्स्प्रेस, दुर्ग-जम्मूतवी एक्स्प्रेस, दुर्ग-फिरोजपुर अंत्योदय एक्स्प्रेस, कोरबा-रायपुर, हसदेव एक्सप्रेस, दुर्ग-नौतनवा एक्सप्रेस, दुर्ग-कानपुर, बेतवा एक्सप्रेस, दुर्ग-नौतनवा, दुर्ग-अजमेर एक्सप्रेस शामिल है।


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    ट्रेनों में एचओजी प्रणाली के लाभ

    डीजल की नगण्य खपत के परिणाम स्वरूप 10 करोड़ रुपए से भी अधिक मूल्य की डीजल की वार्षिक बचत।

    डीजल जलने से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए विद्युत परिवहन व्यवस्था की ओर अग्रसर।

    ट्रेनों में उच्च क्षमता वाले डीजल जनरेटर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण का उन्मूलन कर यात्रियों की सुविधा में वृद्धि करता है।

    बैठने की क्षमता में वृद्धि, रेलवे ने छोटे इंजन वाले नए प्रकार की पावर कारों का निर्माण शुरू कर दिया है।

    ये सब कुछ डीजल की न्यूनतम खपत के कारण संभव।

    इसमें जो स्थान पहले भारी इंजनों के लिए आरक्षित था वह सामान्य वर्ग के बैठने के लिए उपयोग।

    इस प्रकार ट्रेनों में यात्रियों के लिए बैठने की क्षमता में वृद्धि।

    डीजल जनरेटर से तेल और जनरेटर के अन्य खतरनाक ज्वलनशील उपकरणों को पृथक करने के कारण आग के खतरों मे कमी।

    दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में शुरू की गई एचओजी प्रणाली के उपर्युक्त लाभों को ध्यान में रखते हुए, भारत में स्वच्छ, शांत और सुविधाजनक रेल परिवहन के लिए एक सराहनीय पहल है। 

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