• Breaking News

    इमरान को तालिबान की दोस्ती पड़ी भारी, पाकिस्तानको अब सता रही ये टेंशन





    We%2BNews%2B24%2BBanner%2B%2B728x90

    We News 24» नई दिल्ली

    रिपोर्टिंग/ राहुल 



    नई दिल्ली: तालिबान की तरफदारी, वॉर गेम, टेरर गेम  और सत्ता हथियाने के खेल में पाकिस्तान बुरी तरह फंस चुका है. सत्ता में काबिज़ होने के महीनों बाद तालिबान को मान्यता मिलती नही दिख रही. अमेरिका तालिबान के रवैये से नाखुश है तो वही तालिबान की पैरोकारी करने वाले देश चीन और रूस ने भी उसे मान्यता नही दी है. सबसे दिलचस्प ये है कि पाकिस्तान चाहकर भी अफगानिस्तान को खुद मान्यता नहीं दे पा रहा है जबकि होम ग्राउंड पे इमरान खान भारी दबाव में है. वही सऊदी से लेकर ईरान तक तालिबान और पाकिस्तान गठजोड़ को घास डालने के लिये भी तैयार नही है.


    ये भी पढ़े-NIA की छापेमारी में जम्मू-कश्मीर में 4 आतंकियों को किया गिरफ्तार

    .com/daca_images/simgad/


    पाकिस्तान की चिंता ये है कि-

    - अगर उसने अकेले तालिबान को मान्यता दी तो तालिबानी आतंक का सारा ठीकरा उसके सर फूटेगा और वह FATF की ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में चला जायेगा.

    - यूएस मान्यता में देरी कर रहा है जिससे तालिबान सरकार को वर्ल्ड बैंक या फिर IMF से कर्ज नही मिल पायेगा और ऐसे में भुखमरी के शिकार हो रहे अफगानी/तालिबानी भारी संख्या में पाकिस्तान में घुस आयेंगे. 

    -लाखों की संख्या में शरणार्थी अंदर आ गये तो इस संकट को पाकिस्तान खुद झेल नही पायेगा.

    ये भी पढ़े-बिहारी-मजदूर-की-हत्या-का-सेना-ने-लिया-बदला-कश्मीर-में -आतंकियों-का-ढूंढकर-किया-एनकाउंटर


    .com/daca_images/simgad/

    - अगर तालिबान को मान्यता नहीं मिली तो चीन के नजरिये में पाकिस्तान की अहमियत कम हो जायेगी क्योंकि चीन अफगानिस्तान की जमीन पर पाकिस्तान के सहारे मौका तलाश रहा है.

    - और अगर तालिबान को मान्यता दिलाने के लिए गिड़गिड़ा रहे इमरान को यूएस और अन्य देशों ने और नजरअंदाज किया जो की साफ होता दिखाई दे रहा है तो तालिबान के नजरो में इमरान सरकार की हैसियत भी गिर जायेगी जिससे पाकिस्तान की तालिबानी खुशी फ़ुर्र हो जायेगी. 

    ये भी पढ़े-विवाहिता की मौत पर बबाल , आक्रोशित परिजनों ने पति पर लगाया हत्या आरोप

    इस तरह इमरान और पाकिस्तान के लिये जो तालिबान कल तक खुशी का कारण था वह मुसीबत का सबब बनता दिखाई दे रहा है. दोहा पैक्ट के मुताबिक यूएस चाहता था कि अफगानिस्तान से उसकी वापसी के बाद एक इंक्लूसिव गवर्नमेंट बने लेकिन काबुल अटैक के बाद से ही दोहा पैक्ट धराशायी हो गया. रही सही कसर अशरफ गनी के पलायन, नॉर्थरन अलायन्स से टकराव, पंजशीर पर कब्जे  और आये दिन हो रहे आतंकी हमलों ने पूरा कर दिया है. सरिया कानून लागू होने के बाद अफगानिस्तान की आधी आबादी यानी महिलाएं फिर से मध्य युग मे जीने को मजबूर हो गयीं है वही मानवाधिकार का सरेआम उल्लंघन, अल्पसंख्यको पर हमले और रोजमर्रा के आतंकी हमलों ने दुनिया के सामने तालिबान और पाकिस्तान के आतंकी गठजोड़ का मुखौटा उतार दिया है. यूएन से लेजर जी 20 और एससीओ से लेकर ह्यूमन राइट के मंच पर आतंकवाद का खतरा सर चढ़कर बोल रहा है.

    .com/daca_images/simgad/


    अफगानिस्तान में जारी मौजूदा घटनाक्रम पर पर्दा डालने की लाख कोशिश करते हुये इमरान खान यूस और यूएन से लेकर वर्ल्ड कम्युनिटी को मान्यता के लिये अपील कर रहे है लेकिन उनकी कोई नही सुनने वाला. और इस तरह पाकिस्तान की खुद की हालत तालिबान के चक्कर मे वर्ल्ड फोरम पर पतली हो चुकी जबकि होम ग्राउंड पर इमरान खान को मौजूदा हालात के लिये भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. अगर ये हालात कुछ दिन और खींच गये तो पाकिस्तान और इमरान के लिए भी तालिबान और अफगानिस्तान नया ताबूत तैयार कर देंगे.

    इस आर्टिकल को शेयर करे 

    Header%2BAidWhatsApp पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे नंबर 9599389900 को अपने मोबाईल में सेव  करके इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें। फेसबुक-टिवटर पर हमसे जुड़ने के लिए https://www.facebook.com/wenews24hindi और https://twitter.com/Waors2 पर  क्लिक करें और पेज को लाइक करें |

    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    Post Bottom Ad