महाकाल गैंग के सरगना अमित सिंह की हत्या के साजिश में शामिल बिहार पुलिस के दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार
We News 24 Digital»रिपोर्टिंग सूत्र / वशिष्ठ कुमार
पटना:- महाकाल गैंग का सरगना सजायफ्ता अमित सिंह की 18 जून को झारखंड के देवघर कोर्ट मे वकील के चैंबर मे गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने और शूटरों की गिरफ्तारी के लिए देवघर पुलिस ने दिन-रात एक कर दी है। पुलिस की एक टीम उसके लोकल लिंक की पता लगाने मे जुटी है तो दूसरी टीम पटना मे कैंप कर शूटरों को पकड़ने मे पसीना बहा रही है। वहीं पुलिस लोकल लिंक के जरिए ये पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि हमलावर शूटरों को मोटरसाइकिल किसने मुहैया कराई थी। घटनास्थल पर मिले राउटर की जब तकनीकि जांच की गयी तो पता चला कि जेल मे बंद अमित के विरोधी सदस्यों का है।
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फिलहाल इस मामले मे बेऊर जेल से अमित सिंह की अभिरक्षा मे शामिल पुलिस कर्मियों मे से दो पुलिस कर्मी को देवघर पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेजने की तैयारी मे है
खबरों के मुताबिक देवघर पुलिस को इसका पुख्ता सबूत मिला कि मृतक अमित सिंह बिहार पुलिस की अभिरक्षा मे देवघर स्थित एडीजे तृतीय के कोर्ट मे 18 जून को पेशी के लिये लाया गया था। पेशी के लिये पुलिस अभिरक्षा मे जो टीम बनी थी उसका नेतृत्व प्रारक्ष अवर निरीक्षक रामअवतार राम पटना जिला बल कर रहे थे। जब अमित को पेशी के लिये लाया गया था उसके हाथ मे न ही हथकड़ी लगायी गयी और न ही हाजत मे रखा गया। मृतक बंदी अमित सिंह अपने से कार चलाकर पटना से आया था और एक निजी मकान मे रूका था। बंदी को पेशी के लिये जहां निजी वाहन से तो लाया गया वहीं कोर्ट हाजत मे भी नही रखा गया जिससे बड़ी चुक हुई और बंदी अमित सिंह की हत्या गोली मारकर कर दी गयी।
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तकनिकि जांच एवं पुछताछ मे देवघर पुलिस को पता चला कि पटना जिला बल के सिपाही 4050 मो ताबिश खान से मृतक बंदी अमित सिंह से जेल मे भी बात होती थी। वहीं अमित सिंह के विरोधी गैंग के सदस्यों से भी बात हुई थी। बेउर जेल से अमित सिंह को पेशी के लिये देवघर लाने से पूर्व विरोधी गैंग के सदस्यों से सिपाही ताबिश की बात हुई थी। जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अमित सिंह की हत्या के षडयंत्रकर्ता की भूमिका सिपाही तबिश खान ने निभायी थी।
अमित सिंह की सुरक्षा मे इन दोनों पुलिसकर्मियों के अलावा शामिल टीम पटना जिला बल के जवानों ने पुलिस के दिये बयान मे बताया है कि कोई भी गतिविधि प्रअनि रामअवतार राम एवं सिपाही मो ताबिश खान के इशारे पर तय होती थी। इससे यह भी सबित हुआ है कि प्रअनि रामअवतार राम की भूमिका भी षडयंत्रकार्ता के रूप मे थी। वहीं घटनास्थल पर मिले राउटर की जब तकनीकि जांच की गयी तो पता चला कि जेल मे बंद अमित के विरोधी सदस्यों का है। उक्त राउटर की जांच मे पुख्ता जानकारी मिली कि सिपाही ताबिश खान की 18 जून की सुबह 7.45 बजे मोबाइल से पटना बेउर जेल मे बंद कैदी से वाट्सएप कॉल के माध्यम से बात हुई थी।
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फिलहाल देवघर पुलिस के हिरासत मे पुछताछ के लिये रखे गये अमित के आठ साथियों को बांड पर परिजनों के हवाले करने की तैयारी की जा रही थी। वहीं तीन पुलिसकर्मियों को पटना पुलिस के पहुंचने के बाद उन्हें सौंपा जायेगा। नगर थाना प्रभारी नागेन्द्र कुमार मंडल ने बताया कि मृतक अमित सिंह के आठ साथी व पांच पुलिसकर्मियों के मोबाइल को जब्त कर जांच के लिये रखा गया है। जबकि तीन वाहनों को जब्त किया गया है।
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बता दें कि अमित सिंह उर्फ निशांत को बेऊर जेल से लेकर देवघर तक का सफर कैसे तय किया गया था इसका पता लगाने के लिए देवघर पुलिस की टीम ने उसकी अभिरक्षा मे बिहार पुलिस के सभी पांच पुलिसकर्मियों को बेऊर जेल से ही गाड़ी मे बैठ कर पुनः देवघर गए। इस दौरान जहां-जहां रुके वहां की जानकारी ली गई। साथ ही पूछताछ की गई। इसके बाद देवघर कोर्ट में पेशी के दौरान वकील के चेंबर तक लेकर जाने और गोलीबारी तक के तमाम सीन को पहले की तरह ही क्रिएट किया गया। जिसके बाद एक के बाद एक कई खुलासे हुए हैं। बताया जा रहा है कि अमित सिंह स्क्रैप व्यवसायी चंचल कोठारी अपहरण मामले में अमित सिंह को तीन बार देवघर कोर्ट में पेशी हुई थी। तीनों दफा सहायक दरोगा रामावतार राम उसे लेकर देवघर पहुंचे थे। वहीं आरक्षी ताबिश खान दो बार आया था। विश्वत सूत्रों कि माने तो जब-जब अमित सिंह देवघर कोर्ट में पेशी के लिये आता था, तब-तब लग्जरी गाड़ियों से ही आता था। बताया जाता है कि दो बार देवघर के एक होटल में रूका था। वहीं इस बार किसी दोस्त के मकान मे ठहरा था।
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