चंद्रकांत झा खूंखार हत्यारा जो अपने गांव में 44 हत्याएं कीं दिल्ली में भी इन्सान काट कर शवों को रखा तिहाड़ जेल के बाहर
देश की राजधानी दिल्ली. दिल वालों की दिल्ली. साल 2006 की बात है, सबकुछ जैसा चलता है वैसे ही चल रहा था. अक्टूबर की सुबह यानी दिल्ली में ठंड का मौसम, हल्की-हल्की धूप निकली हुई. दिल्ली की मशहूर तिहाड़ जेल के गेट नंबर-3 पर एक टोकरी रखी थी. उसमें क्या था किसी को मालूम नहीं था. लेकिन इससे अलग हरिनगर पुलिस स्टेशन में फोन बजा, पुलिसवाले ने फोन उठाया और सामने से एक शख्स ने बताया कि तिहाड़ जेल के गेट नंबर-3 के बाहर एक लाश रखी है, जाकर उठा लो. सुबह के वक्त ही पुलिस स्टेशन में हलचल बढ़ी, अधिकारियों तक बात पहुंची और सभी गेट नंबर-3 पर पहुंचे, वहां एक टोकरी थी और उस टोकरी में एक लाश थी. सिर कटी लाश. नेटफ्लिक्स पर हाल ही में एक डॉक्यू-सीरीज़ रिलीज़ हुई है, जिसका नाम है Indian Predator: Butcher of Delhi.
यानी दिल्ली का कसाई. जो कहानी ऊपर बताई गई है, यह उसकी सिर्फ शुरुआत है. नई पीढ़ी के लिए यकीन करना मुश्किल है कि दिल्ली में कुछ साल पहले ही ऐसा हुआ है जहां सड़क पर इस तरह किसी आदमी को काट कर टोकरी में रख दिया गया है और वो भी तिहाड़ जेल के बाहर. ये कहानी चंद्रकांत झा की है, जिसे दिल्ली का कसाई बताया गया है. चंद्रकांत झा ने कितने मर्डर किए हैं, ये शायद किसी को नहीं पता है लेकिन जो तीन-चार मामले चर्चा में आए, उनका ज़िक्र ही इस डॉक्यू-सीरीज़ में किया गया है. चंद्रकांत झा की कहानी क्या है और नेटफ्लिक्स की ये डॉक्यूमेंट्री क्या बताती है, जानते हैं.
नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री में इस चिट्ठी को दिखाया गया है, जिसमें लिखा है, ‘...अबतक मैं नाजायज केस झेलता रहा हूं, लेकिन इस बार मैंने सच में मर्डर किया है. तुम लोग मुझे कभी भी नहीं पकड़ पाओगे, मुझे केस खुलने का डर नहीं है. अगर मुझे इस मर्डर में पकड़ सको तो पकड़ कर दिखाओ, तुम्हारे इंतज़ार में तुम लोगों का बाप और जीजाजी, सीसी.’ जबतक पुलिस ने इस चिट्ठी का ज़िक्र मीडिया में जगजाहिर नहीं किया था, तबतक किसी को इस मामले के बारे में पता ही नहीं था.
चंद्रकांत झा की दिल्ली पुलिस के उस कॉन्स्टेबल से बदला लेने की सनक कितनी ज्यादा थी, उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह पहले उसकी ड्यूटी चेक करता था और बाद में लाश की टोकरी उसी गेट के पास रखता था जहां बलबीर तैनात था.
कैसे मर्डर करता था चंद्रकांत झा
कभी तसल्ली से वक्त निकालकर नेटफ्लिक्स पर आप क्राइम डॉक्यूमेंट्री देखेंगे तो अमेरिका के ऐसे कई मामलों पर बहुत ही सनकी, खतरनाक, खूनी और बिल्कुल डरा देने वाली कहानियां मिलेंगी. जहां कोई सनकी, सीरियल किलर या कोई अपराधी किस तरह किसी जुर्म को अंजाम देता है. अब यही कहानी हिन्दी ऑडियंस को बताई जा रही है, जिसे पुलिस रिकॉर्ड के आधार पर तैयार किया गया है. अब सवाल ये है कि चंद्रकांत झा ने कितने मर्डर किए और कैसे मर्डर किए.
दिल्ली के इस कसाई का तरीका बिल्कुल घिनौना था. कहानी में बताया गया है कि चंद्रकांत झा, उन लोगों को अपना दोस्त बनाता था जो बिहार (उसके गृहराज्य) से दिल्ली में कोई काम करने के लिए आते थे. वह अलग कमरे में रहता था, तो किसी को भी अपने साथ दोस्त बनाकर ले जाता था. उनके साथ खाना-पीना, साथ में रहना सब होता था लेकिन जब वो हल्की-सी भी चूक करता था तो उसे मौत के घाट उतार देता था. यह सिलसिला लगातार जारी रहा, जिसे मारा गया उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए, सिर को अलग कर यमुना में बहा दिया गया. ऐसा क्यों किया?
चंद्रकांत झा और उसका एक कैमरा
बिहार के मधेपुरा जिले के घोषई गांव से चंद्रकांत झा जब दिल्ली आया, तब तक वह वहां पर मर्डर कर चुका था. डॉक्यूमेंट्री में घोषई गांव के एक व्यक्ति ने कहा है कि कई लोग कहते हैं कि चंद्रकांत झा ने 44 मर्डर कर चूका था ,
बिहार से निकला चंद्रकांत झा जो दिल्ली में कमाने के लिए आया था, वो ऐसा खूंखार सीरियल किलर कैसे बना. इसका जवाब में घोषई में ही है, क्योंकि बचपन में चंद्रकांत की मां उसके साथ ज्यादती करती थी जिसकी वजह से उसके दिमाग में हिंसा चढ़ गई थी.
चंद्रकांत झा के पास एक कैमरा था, जिन भी लोगों को वह अपने उस कमरे पर लाता था जहां वह खूनी खेल खेलता था. उन सभी लोगों को वह तस्वीर निकालता था, किसी को रस्सी से बांधे हुए. किसी को ज़मीन पर लेटाया हुआ है, किसी को मारने के बाद उसकी तस्वीर खींचना. ये सब चंद्रकांत झा के उस कैमरे में था. नेटफ्लिक्स का दावा है कि अभी तक यह तस्वीरें किसी ने नहीं देखी थीं, यहां तक कि पुलिस ने भी नहीं.
इसके जवाब में चंद्रकांत झा का एक ही जवाब होता था ‘यमुना में सिर डालकर मैं इन सबका कल्याण कर रहा हूं’. किसी को मारने के पीछे कोई बहुत बड़ा मकसद नहीं होता था, छोटी-छोटी बात पर मर्डर हो जाता था. जैसे चंद्रकांत झा ने एक इंसान को सिर्फ इसलिए मारा, क्योंकि उसने मना किया था कि वह उसकी बेटी को बाहर घुमाने ना ले जाए, लेकिन वो ले गया और अगले ही दिन चंद्रकांत ने उसका गला काट दिया. नेटफ्लिक्स की इस सीरीज़ में मुख्य तौर पर तीन खून का जिक्र किया गया है, इसमें अनिल मंडल (20 अक्टूबर 2006), उपेंद्र (25 अप्रैल 2007) और दलीप (18 मई 2007) शामिल हैं. गांव वालों ने भले ही दावा किया हो कि चंद्रकांत 40 से ज्यादा खून कर चुका है, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में यही साबित हुए हैं.
कैसे पकड़ा गया था चंद्रकांत
जब तीसरा मर्डर हुआ, उसके बाद दिल्ली पुलिस को कुछ हदतक कामयाबी मिलना शुरू हुई. चंद्रकांत झा एक डॉक्टर के पास जाता था, जिसके पास किसी तरह दिल्ली पुलिस भी पहुंच गई. वहां से स्कैच तैयार हुआ, दिल्ली पुलिस ने जाल बिछाया और वह पकड़ा गया. इसके लिए पुलिसवाले डॉक्टर के आसपास फैल गए, कोई फल बेच रहा है और कोई मजदूर बन गया है. मई 2007 में आखिरकार चंद्रकांत झा पकड़ा गया था. चंद्रकांत झा को पहले फांसी की सजा हुई, लेकिन बाद में उसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया था. चंद्रकांत झा ने इसी साल यानी फरवरी 2022 में पैरोल भी मांगी थी, लेकिन उसे नहीं मिली. वह अभी भी तिहाड़ की जेल में बंद है.
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद