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    आखिर कार एक बार फीर नितीश कुमार पलट गए ,बिहार में बदल गया सियासी समीकरण


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    We News 24 Digital»रिपोर्टिंग सूत्र  अमिताभ त्रिपाठी

    पटना: आखिर कार एक बार फीर नितीश कुमार पलट गए बिहार में  सियासी फेरबदल हो गया। नीतीश कुमार ने नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिलाया है। दिल्ली की राजनीति में भी खास जगह रखने वाले बिहार में यह घटनाक्रम अचानक हुआ नहीं दिख रहा है। कहा जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड  और राष्ट्रीय जनता दल   के बीच नजदीकियां बीते कुछ समय से बढ़ती देखी जा रही थीं।

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    इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कुछ बदलता दिख हा था। विधानसभा पर नजर रखने वालों को सीएम कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव में कुछ अलग नजर आ रहा था। खास बात है कि बीते साल विधानसभा में दोनों के बीच तकरार देखने को मिली, लेकिन नीतीश ने आगे किसी बहस से बचने का फैसला किया।

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    पहला संकेत, जातिगत जनगणना

    बीते साल नीतीश राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे। 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल के अलावा उनके साथ तेजस्वी भी थे। उस दौरान राजधानी में दोनों नेताओं के बीच सौहार्द देखने मिला। पत्रकारों से बातचीत के दौरान भी वह नीतीश के साथ रहे और सीएम ने उन्हें बोलने का भी मौका। हालांकि, कई दलों के साथ होने के चलते इसके सियासी मायने नहीं निकल सके।

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    दूसरा संकेत, इफ्तार पार्टी

    इस साल इफ्तार पार्टी में नीतीश ने तेजस्वी का काफी गर्मजोशी से स्वागत किया। इतना ही नहीं वह राजद नेता को गेट तक छोड़ने भी पहुंचे। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली दौरे और इफ्तार पार्टी के दौरान दोनों नेता 'जातिगत जनगणना पर चर्चा' के लिए आमने सामने बैठक की थी।


    तीसरा संकेत, लालू के आवास पर सीबीआई रेड

    बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आवास पर जब सीबीआई ने रेड की तो जेद्यु की तरफ से आलोचना जैसी प्रतिक्रिया नहीं दी गई। वहीं, लालू के करीबी माने जाने वाले भोला यादव की गिरफ्तारी पर भी पार्टी ने खास प्रतिक्रिया नहीं दी। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में इसी तरह की रेड और मामलों के बाद नीतीश ने राजद से दूरी बना ली थी।



    चौथा संकेत, पीएम मोदी का पटना दौरा

    रिपोर्ट के अनुसार, बीते महीने पीएम मोदी ने पटना का दौरा किया तब नीतीश ने यह सुनिश्चित किया कि तेजस्वी को भी मंच साझा करने का मौका मिले। खास बात है कि यह वही नीतीश हैं, जिसने 2017 में प्रदेश की राजधानी पटना में प्रकाश पर्व के दौरान राजद नेता को खास मौका नहीं दिया था।

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