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    झोलाछाप फर्जी डॉक्टर राजेश चला रहा है गांव में गुरु नानक क्लीनिक , नहीं है कोई डिग्री

     


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    We News 24 Digital»रिपोर्टिंग सूत्र  हरवंस कुमार रोमी

    पलवल : नीम हक़ीम ख़तरा-ए-जान...ये बहुत पुरानी कहावत है,  जिसका अर्थ है- बिना ज्ञान वाले डॉक्टरों से इलाज करवाना अपनी जान को खतरे में डालना है. ज्यादातर  ग्रामीण इलाकों में  ये दर्जा फर्जी डॉक्टरों को प्राप्त है जो बिना पढ़े डिग्री खरीदकर या बिना डिग्री के प्रैक्टिस कर रहे हैं और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसे ही एक फर्जी डॉक्टर है जो गुरु नानक क्लिनिक नाम से  पलवल जिले का बड़ोली ब्लोक का ग्राम पंचायत मालासिह फार्म  में चला रहा है . डॉक्टर का    नाम है . राजेश हमारे सूत्रों से  मिली जानकारी के अनुसार  राजेश के पास किसी भी प्रकार की कोई मेडिकल डिग्री नहीं है .फिर भी वो लोगो की जिंदगियो से खेलता है . जिसकी जानकारी सीएमओ डॉक्टर लोकवीर को दे दी गई।  जिले के  स्वास्थ्य विभाग द्वारा  टीम बनाकर स्थानीय पुलिस की मदद से  डॉक्टर राजेश की क्लिनिक का निरीक्षण कर डिग्री की जाँच की जएगी  दोषी पाया गया तो  डॉक्टर राजेश के खिलाफ  धोखाधड़ी की धारा 419, 420 के अलावा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15 (3) के तहत केस दर्ज उसे जेल भेजा जायेगा .

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    देश में आधे से ज्यादा डॉक्टर हैं फर्जी

    हमारे देश में डॉक्टर को ईश्वर का दर्जा दिया जाता है. कहा जाता है कि डॉक्टर में भगवान बसते हैं लेकिन हमारे देश में अब इतने फर्जी डॉक्टर पैदा हो गये हैं कि खुद भगवान भी कंफ्यूज़ हो जाएं कि कौन असली डॉक्टर है और कौन नकली? साल 2016 में भारत के स्वास्थ्य कर्मियों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट आई थी. इसमें कहा गया था कि देश में जितने डॉक्टर्स एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर रहे हैं, उनमें से आधे से भी ज्यादा फर्जी हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर रहे 57.3 फीसदी लोगों के पास मेडिकल की कोई डिग्री ही नहीं है. ग्रामीण इलाकों में प्रैक्टिस करने वाले महज 18.8 फीसदी डॉक्टर्स के पास मेडिकल की डिग्री है. प्रैक्टिस करने वालों में सिर्फ 31.4 फीसदी ने सिर्फ कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में झोलाछाप डॉक्टरों की परिभाषा बताई है. आयुर्वेदिक, यूनानी या होम्योपैथिक चिकित्सा में योग्यता रखने वाला डॉक्टर, एलोपैथिक उपचार नहीं कर सकता.

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    आखिर कौन हैं झोलाछाप डॉक्टर?

    इस आधार पर झोलाछाप डॉक्टरों को तीन प्रकार में बांटा जा सकता है. पहला -बिना किसी योग्यता के झोलाछाप, यानी जिनके पास कोई मेडिकल डिग्री नहीं है. दूसरा - ऐसे आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा के डॉक्टर, जो एलोपैथिक उपचार कर रहे हैं. तीसरा इलाज की Alternative पद्धति, जैसे इलेक्ट्रो-होम्योपैथी और इंडो-एलोपैथी के डॉक्टर, जिन्हें भारतीय कानून में कोई मान्यता प्राप्त नहीं है. ज्यादातर लोगों को ये अंदाजा ही नहीं होता कि वो फर्जी डॉक्टर को कैसे पहचानें. लोगों को अक्सर तभी पता चलता है जब पुलिस नकली डॉक्टर के क्लीनिक पर छापा मारती है या जब कोई नकली डॉक्टर गिरफ्तार होता है. कई बार इंडियन मेडिकल काउंसिल और राज्यों की मेडिकल काउंसिलों ने झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए सर्वे की योजना भी बनाई, जो कभी पूरी नहीं हो पाई. 

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