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    Simdega News:सिमडेगा जिले के जगदीश बड़ाईक को दिल्ली में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया


    सिमडेगा जिले के जगदीश बड़ाईक को दिल्ली में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया

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    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र  / आरती गुप्ता 



    सिमडेगा : जिले में हॉकी के बाद कला संस्कृति के क्षेत्र में भी जिले के कलाकार जिले का नाम रोशन कर रहे हैं . प्रखंड के सिमरिया गांव निवासी लोक कलाकार जगदीश बड़ाईक को उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया . दिल्ली के रविंद्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने जगदीश बराईक को सम्मानित किया . जगदीश बराईक को  ठेठ नागपुरी गीत के माध्यम से आदिवासी संस्कृति और परंपरा को दुनिया के सामने में रखने वाली   कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु पुरस्कार दिया गया है .  इससे पूर्व भी जगदीश बड़ाईक को संगीत नाटक अकादमी का पुरस्कार मिल चुका है . इधर जगदीश बराईक ने सम्मान मिलने के बाद जिले के सभी लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि पदम श्री मुकुंद नायक से प्रेरणा मिली है . उन्होंने कहा कि जिले की माटी से संगीत की प्रेरणा मिलती है . उन्होंने कहा कि संगीत के माध्यम से जिले की पहचान पूरे विश्व में कराना ही हमारा  उद्देश्य है ।

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    आर्थिक तंगी से झूझने के बाद भी नागपुरी गीतों से रखा लगाव ।
    नागपुरी कलाकार जगदीश बड़ाईक ने कहा कि बचपन से ही उन्हें नागपुरी गीतों से काफी लगाव था . लेकिन बचपन में उनके आर्थिक तंगी के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा . कभी-कभी संगीत की दुनिया को छोड़ने का भी मन बना लिया था . लेकिन परिवार वाले एवं मित्रों ने हिम्मत दिया और विषम परिस्थितियों को झेलते हुए नागपुरी गीतों ने आज अनुकूल माहौल दिया है . उन्होंने कहा कि नागपुरी संस्कृति एवं भाषा को संरक्षण देना ही  उनका मुख्य उद्देश्य है।


     पिता छेड़ते थे ढोलक और मुरली के तान तो जगदीश बराईक देते थे अपना स्वर

    नागपुरी गीतों से पहचान बनाने वाले जगदीश बड़ाईक अपने पिता स्वर्गीय सामुरू बराईक को याद करते हुए भावुक हो गए  . जगदीश ने बताया कि पांच भाई-बहनों में वो  सबसे बड़े हैं . उन्होंने बताया कि उनके पिता ढोलक और मुरली बेहद सुरीले अंदाज में बजाते थे.  बचपन में पिता के द्वारा खेली गई धुन में ही वह गुनगुनाते थे जो बाद में  गीत बनकर निकले पिता के आशीर्वाद से लोगों ने उनके गीत को पसंद किया और सराहा और साथ ही अपना प्यार और दुलार भी दिया .

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