International News:- यूरेनियम की खान वाले देश नाइजर जनरल युद्ध को तैयार खुलकर साथ देगा पुतिन
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / अंजली कुमारी
नई दिल्ली :- पच्छिमी अफ़्रीकी देश नाइजर पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुयी है और उसका वजह है वंहा पर तख्ता पलट होना तख्तापलट होने के बाद से ही नाइजर हालात बदल गए है . अब रुषी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस मामले कूद गए गए है .आपको बता दे की 26 जुलाई को नाइजर में राष्ट्रपति बजौम का शासन का माली के मिलिट्री लीडर कर्नल अमादौ अब्द्रमाने तख्तापलट दिया उसके बाद बाद नाइजर के हालात को देखते हुए पुतिन ने सभी मसलों की बातचीत से हल निकालने की अपील की है.
रूस की ओर से जो बयान जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि माली-रूस ने इस क्षेत्र पर चर्चा की, खासकर नाइजर में किस तरह हालात को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाया जा सकता है. बता दें कि नाइजर अपने यूरेनियम की वजह से काफी अहम है, यही कारण है कि अमेरिका, रूस, चीन, यूरोप समेत अन्य रीजन उसे अपने हक में करना चाहते हैं, अभी तक नाइजर के यूरेनियम पर पूरी तरह से फ्रांस का ही कब्जा था लेकिन तख्तापलट ने हालात बदल दिए हैं.
यह तस्वीर नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बज्म की है। (फाइल फोटो)
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अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश अभी तक नाइजर में हालात सुधारने और फिर से राष्ट्रपति बजौम का शासन स्थापित करने की कोशिशों में जुटे थे, लेकिन राष्ट्रपति पुतिन की फोन कॉल की वजह से अब चीज़ें पूरी तरह से बदल सकती हैं. रूस का नाइजर के तख्तापलट में अहम रोल बताया जाता है, क्योंकि यहां जब से तख्तापलट हुआ है और उसके समर्थन में लोग सड़कों पर उतरे हैं तभी से ही रूस के प्रति समर्थन भी बढ़ा है, इतना ही नहीं लोग रैलियों में रूस का झंडा लेकर पहुंच रहे हैं.
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रूस की एंट्री ऐसे वक्त पर हुई है जब इकोवास यानी अफ्रीकी देशों का समूह गुरुवार और शुक्रवार को मिलने जा रहा है, ये बैठक घाना में होगी जहां इन देशों के आर्मी चीफ मिलेंगे जो कि नाइजर पर हमले की रणनीति पर काम करेंगे. इकोवास ने पहले ही कह दिया था कि वह बातचीत की कोशिश करेंगे, साथ ही मिलिट्री ऑप्शन को भी खुला रखेंगे. सवाल उठता है कि क्या अब रूस खुलकर तख्तापलट करने वाले जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी के साथ आ जाएगा और पश्चिमी देशों की रणनीति को चुनौती देगा.
बता दें कि नाइजर की तरह ही माली में भी तख्तापलट हो चुका है और खास बात ये है कि दोनों ही देशों में तख्तापलट के पीछे रूस का हाथ बताया जाता है. रूस का वैगनर ग्रुप इसमें एक्टिव रहा है. नाइजर में जबतक राष्ट्रपति बजौम का राज था, वह पूर्णत: पश्चिमी देशों के साथ थे जिसमें अमेरिका-जर्मनी-रूस-इटली जैसे देश आते हैं, इन्होंने कई समझौते भी नाइजर के साथ किए थे. लेकिन अब्दुर्रहमान त्चियान के आने के बाद पश्चिम से कनेक्शन टूटा है और अब रूस साथ खड़ा है.
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