Delhi Excise Policy Scam :- मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुप्रीमकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / काजल कुमारी
नई दिल्ली :- नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि कोर्ट आबकारी नीति घोटाला से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी अर्जी पर सुनवाई कर रहा है।
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सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को दिल्ली आबकारी नीति घोटाला में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में हैं। सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, ईडी ने उन्हें 9 मार्च को घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था।
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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश उनके वकील अभिषेक सिंघवी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू को सुनने के बाद सिसोदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सोमवार को SC ने कहा- आप किसी को हमेशा के लिए जेल में नहीं रख सकते
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने जमानत अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करते हुए ईडी से पूछा था कि सिसोदिया पर लगाए गए आरोपों पर अभी तक बहस क्यों शुरू नहीं हुई, वह कब तक होगी? ईडी की ओर से ASG राजू कोर्ट में पेश हुए थे, जिन्होंने कहा कि शराब नीति घोटाला (Liquor Policy Scam Case) मामले में ईडी और सीबीआई आम आदमी पार्टी (AAP) को आरोपी बनाने पर विचार कर रही है। बता दें कि सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि मनीष सिसोदिया पर लगाए गए आरोपों पर अभी तक बहस क्यों शुरू नहीं हुई है। कोर्ट ने कहा कि कहा कि आप किसी को अनंत काल तक जेल में नहीं रख सकते हैं। आप आश्वस्त नहीं हैं कि आप कब बहस कर सकते हैं, क्योंकि एक बार आरोप पत्र दाखिल हो जाने के बाद बहस शुरू होनी चाहिए।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत
दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 मई सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उपमुख्यमंत्री और उत्पाद शुल्क मंत्री (Excise Minister) होने के साथ ही वो एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति हैं, जो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। इस दौरान कोर्ट यह माना था कि उनके खिलाफ आरोप "बहुत गंभीर प्रकृति" के हैं।
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मेरे टिप्पणी लिखने से ये देश सुधर जायेंगी क्या ?
जवाब देंहटाएंकलकत्ता में हर क्षेत्रों में चौकीदारों की मोर्चा गूंडो और पार्टियों की लगी हुई है, पुलिसकर्मियों की नहीं ।यह कौन-सा राज्य की नीति है ?
विदेशों की तो बात छोड़ देता हूं, भारत के अन्य राज्यों में ऐसा नहीं है।
हर पल जीना एक मुसीबत हो गयी है।