दिल्ली की 69 कॉलोनि वासी को क्यों नहीं मिल रहा मालिकाना हक ,जाने कंहा हुई सरकार से चुक
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / आरती गुप्ता
नई दिल्ली :- छत्तरपुर में 69 कॉलोनी को नियमित करने के लिए शांतिपूर्ण केंडल आक्रोश मार्च निकाला गया . इस मार्च की शुरुआत नंदा हॉस्पिटल से किया गया और सौ फूटा खाटू श्याम मंदिर समाप्त किया गया . इस मार्च में हजारो की संख्या में लोग शामिल हुए.
जब वी न्यूज 24 के एडिटर एंड चीफ दीपक कुमार ने लोगो से बात की तो उनका कहना है की जिस श्रेणी में 1731 कॉलोनी आता है .उसी श्रेणी में 69 कॉलोनी भी आता है. इस कॉलोनी में रहने वाले लोगो के पास 50 गज से लेकर 200 गज तक का प्लाट है . यंहा भी मेहनत मजदूरी करने वाले लोग रहते है .यंहा भी गरीब और मध्यम वर्ग के लोग रहते है .सरकार ने हमारी कॉलोनी को नियमित नहीं करके हमारे साथ बहुत ही नाइंसाफी और सौतेला व्यवहार किया है . क्या हमलोग भारत के नागरिक नहीं है ? . गलती डीडीए और सरकारी एजेंसी की और भुगत रहे है हम लोग . सरकार के द्वारा जो सर्वे कराया गया वो सर्वे ही गलत तरीके से किया गया .
छत्तरपुर मिनी फार्म प्रसीडेंट करन सिंह यादव |
ये भी पढ़े- हलद्वानी हिंसा में रोहिंग्या बांग्लादेशी कनेक्शन, पुलिस कर रही जांच, अभी भी कर्फ्यू जारी
जब इसी सिलसिले में छत्तरपुर मिनी फार्म के प्रसीडेंट करन सिंह यादव से बात की तो उन्होंने कहा की सरकार हमलोगों को अमीर लोगो के श्रेणी में रखा है जबकि हमलोग छोटे लोग है सरकार जो 69 कॉलोनी को नियमित नहीं हमारे साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है ,इसी मिनी फ़ार्म के इन्दर सिंह दहिया ने कहा की जो सरकार हमारे कॉलोनी के लिए एफुलेंट शब्द का जो इस्तेमाल किया है वो शब्द ही गलत है 69 कॉलोनी और 1731 कॉलोनी का स्टेट्स सेम है जो 1731 कॉलोनी को पास किया गया है उनसे भी गरीब 69 कॉलोनी में रह रहे है सरकार की ये भेदभाव की पॉलिसी ठीक नहीं है .
एल सी शर्मा एवन ब्लोक बिरला फ़ार्म छत्तरपुर एक्सटेंशन,अध्यक्ष |
एल सी शर्मा एवन ब्लोक बिरला फ़ार्म छत्तरपुर एक्सटेंशन के प्रसीडेंट ने कहा ये जो हमारे साथ व्यवहार किया गया है इसमें पूरा का पूरा भ्रष्टाचार छिपा है . इन 69 कॉलोनी कोम इसलिए पास नहीं किया गया इनमे जितने भी फ्लेट बनते है इनसे दिल्ली पुलिस और एमसीडी हर लेंटर के पैसा लेते है .
पूर्व पार्षद अनिल त्यागी |
पूर्व पार्षद अनिल त्यागी डी ब्लोक छत्तरपुर एन्क्लेव निवासी ने कहा जो डीडीए के अधिकारी कह रहे है ये कॉलोनी फारेस्ट लेंड में बसा हुआ है तो ये बात गलत है .ये कॉलोनी 1990 से पहले के बसी हुयी है जबकि फारेस्ट लेंड 1993 के बाद लागु हुआ है उससे पहले फारेस्ट लेंड का कोई वजूद नहीं था .
ये सरकार और अधिकारी की सबसे चुक है . दूसरी सबसे बड़ी चुक सरकार की रही है जब भी सर्वे होता है तो उस एरिया के चुने हुए RWA के अध्यक्ष के साथ मिलकर किया जाता है .जबकि ये अधिकारी लोग ओफिस में बैठे-बैठे सर्वे कर दिया गया जो सही तथ्य नहीं है .
रविन्द्र शर्मा अध्यक्ष RWA छत्तरपुर एक्सटेंसन |
आगे इसी कड़ी में रविन्द्र शर्मा अध्यक्ष RWA छत्तरपुर एक्सटेंसन ने कहा दिल्ली सरकार ने 2002 जितनी भी अवैध कॉलोनी थी उनको कहा की आप अपने प्लाट का नक्शा बाउंड्री लाइन और खसरा नंबर के साथ जमा कीजिये .उसके बाद 2007 में जब शिला दीक्षित की सरकार थी उस समय भी कहा गया की आप लोग अपना नक्शा पेश कीजिये की आपने कोई एक्सटेंशन तो नहीं किया है .हम इसको सर्वे करके हम आपको रेगुलाईजेशन का प्रमाणपत्र देगे .उसके बाद हम गरीब लोगो ने पैसे इकठे कर के नक्शा जमा करवया .उसके बाद शिला दीक्षित सरकार ने हमलोगों को स्टेडियम में बुलाकर प्रोविजनल प्रमाणपत्र दिए .अभी के वर्तमान सरकार जो इल्जाम लगा रही है ये 69 कॉलोनी फारेस्ट लेंड पर बसा है .जब सरकार ने इतनी प्रक्रिया पूरी करने बाद कहते है .फारेस्ट लेंड जबकि ये कॉलोनी खेती की निजी जमीन पर बसा है .69 कॉलोनी को बकरा बनया गया है .
संतोष मिश्रा 69 कॉलोनी वेलफेयर असोसियन जेनरल सेक्रेटरी |
संतोष मिश्रा 69 कॉलोनी वेलफेयर असोसियन के जेनरल सेक्रेटरी ने कहा इन 69 कॉलोनी में कोई सर्वे कंडेक्ट नहीं किया गया .नोडल एजेंसी नगर निगम और डीडीए ने भारत सरकार को जो सर्वे रिपोर्ट सौपी है तथ्य से परे है .और ये बिलकुल गलत रिपोर्ट है .जब 2019 में इन 69 कॉलोनी को अलग किया गया तो हम लोगो ने प्रधानमंत्री ऑफिस से लेकर एलजी शहरी विकास मंत्री तक अपनी गुहार लगा चुके है मानवता के हिसाब से ये बिलकुल गलत है सरकार को इन 69 कॉलोनी से एफुलेंट का वर्ड हटाना चाहिए और इन कालोनी को नियमित करना चाहिए .आपको बताते चले की 2002 में दिल्ली में कुल 1200 सौ अवैध कॉलोनी था .
मनोज आर्य 69 कॉलोनी वेलफेयर असोसियन सेक्रेटरी |
मनोज आर्य 69 कॉलोनी वेलफेयर असोसियन के सेक्रेटरी ने कहा की मीडियाकर्मियों का भी दायित्व है की वो आम जनमानस के बिच में सही तथ्यों को लाये और सरकारी एजेंसी से सीधी साधी बात करता हूँ की आपने हमे वोट का अधिकार दे दिया और हमारे कॉलोनी को अनऑथराइज्ड घोषित कर दिया जबकि हम वोट देने के लिए ऑथराइज है .ये कैसा नियम और कानून है .आपके प्रति जो हमारी जिम्मेदारी बनती है वो तो सुनिश्चित कर दी और आप हमारे जिम्मेदारी से भाग रहे हो .
तस्वीर @ वी न्यूज 24 |
जानकारी के लिए बता दू इन 69 कॉलोनी में सड़क और सीवर की समुचित व्यवस्था नहीं है .इसके अलावा लोगों को घर निर्माण करने के दौरान भी कई तरह की समस्याएं होती है. अधिकारी भ्रष्टाचार करते हैं एमसीडी और दिल्ली पुलिस पैसे की डिमांड करते है . अक्सर ये कहा गया है कि इन कॉलोनीयों को पास किया जाएगा लेकिन साल दर साल बिट जाने बाद भी कॉलोनीयों को पास नहीं किया जा रहा है.
वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले पीएम उदय योजना के तहत करीब राजधानी दिल्ली की 1800 कॉलोनीयों को पास करने की बात चली थी . 1731 कॉलोनीयों को पास कर दिया गया और इन 69 कॉलोनीयों को छोड़ दिया गया और उसके बाद वादा किया गया था कि अगले कुछ समय में इन कॉलोनीयों को भी पास कर दिया जाएगा. लेकिन अभी तक पास नहीं किया गया है. चुनाव से पहले स्थानीय लोगों ने मार्च निकाल कर मांग की है कि उनकी कॉलोनी को पास किया जाए. क्योंकी कॉलोनी पास नहीं होने के कारण हमारे सामने आए दिन अलग-अलग तरह की समस्याएं उत्पन्न होती रहती है.
वी न्यूज 24 फॉलो करें और रहे हर खबर से अपडेट
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद