केजरीवाल को सिर्फ सत्ता का है मोह ,निजी हित को रखा ऊपर ,बहा रहे हैं घड़ियाली आंसू , दिल्ली हाई कोर्ट
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / विवेक श्रीवास्तव
नई दिल्ली:- दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 लाख से अधिक छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं कराने पर दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की दिलचस्पी केवल सत्ता में बने रहने में है और गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित पर व्यक्तिगत हित को प्राथमिकता दी है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह तीखी टिप्पणी की. याचिका में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम की आपसी खींचतान के कारण एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं और वे टिन शेड में पढ़ने को मजबूर हैं.
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन ने शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने छात्रों की दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं और घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. कोर्ट ने यह कड़ी टिप्पणी तब की जब दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें सौरभ भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की अनुपस्थिति में किसी उचित प्राधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की आवश्यकता होगी. जो अभी भी हिरासत में हैं.
यहां सत्ता का अहंकार चरम पर है: कोर्ट
हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि दिल्ली सरकार को इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं है कि छात्र स्कूल नहीं जा रहे हैं या उनके पास किताबें नहीं हैं. आप केवल सत्ता में रुचि रखते हैं। कोर्ट ने कहा कि यहां सत्ता का अहंकार चरम पर है.
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कोर्ट ने ये सख्त टिप्पणी की
दिल्ली सरकार की दलील पर अमल करते हुए सीजे मनमोहन ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि छात्रों को पाठ्यपुस्तकों के बिना पढ़ाई के लिए छोड़ दिया जाए. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपने कहा है कि मुख्यमंत्री हिरासत में होने के बावजूद सरकार काम करती रहेगी. आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे. हमारे सामने आई जनहित याचिकाओं में हमने कई बार यह कहा है, लेकिन यह आपके प्रशासन का निर्णय है।' यदि आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें तो हम इस पर विचार करेंगे। जस्टिस मनमोहन ने कहा कि वह आदेश में सौरभ भारद्वाज का नाम भी शामिल करेंगे.
दिल्ली सरकार के वकील ने ये दलीलें दीं
दिल्ली सरकार के वकील सदन फरासत ने कहा कि एमसीडी के पास स्थायी समिति नहीं होने का कारण यह है कि एलजी ने अवैध रूप से एल्डरमेन की नियुक्ति की है और सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार कर रहा है. फरासत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के पास वैसे भी ज्यादा ताकत नहीं है.
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हाई कोर्ट की टिप्पणी पर आया AAP का बयान
हाई कोर्ट की टिप्पणी पर आम आदमी पार्टी की ओर से बयान सामने आया है. आप ने कहा कि उपराज्यपाल ने मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति अवैध तरीके से की है. एलजी द्वारा अपनाए गए अवैध तरीकों के कारण एमसीडी की स्थायी समिति का गठन नहीं किया गया है। स्टैंडिंग कमेटी न बनाने के लिए एलजी वीके सक्सेना जिम्मेदार हैं. स्थायी समिति की कमी के कारण एमसीडी का काम ठप हो गया है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है .
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