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    पूरब के लेनिनग्राद के नाम से चर्चित बेगूसराय में कन्हैया कुमार का सपना, सपना ही न रह जाए? आइये आंकड़ों से समझें किसका पलड़ा है भारी



    We News24  Hindi » नई दिल्ली 
    ब्यूरो चीफ दीपक कुमार 

    HIGHLIGHT 

    1. बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं कन्हैया कुमार
    2. वहीं, बीजेपी ने गिरिराज सिंह को उतारा है मैदान में
    3. महागठबंधन की तरफ से तनवीर हसन आजमा रहे हैं किस्मत
    4.  गिरिराज सिंह और कन्हैया, दोनों भूमिहार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं 
    नई दिल्ली : पूरब के लेनिनग्राद के नाम से चर्चित बेगूसराय सीट कभी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ हुआ करती थी. यहां से सीपीआई के सांसद भले ही न चुने गए हों लेकिन वोट हमेशा अच्छा पाते रहे हैं जिससे उनके दबदबे का पता चलता है. इस लोकसभा में आने वाली सात विधानसभा सीटों में से कई पर सीपीआई उम्मीदवार जीतते भी रहे हैं.और बेगूसराय  में इस बार लोकसभा चुनाव का मुकाबला दिलचस्प हो गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार  हैं, जो सीपीआई के टिकट पर यहां से चुनाव मैदान में उतरे हैं. दूसरी तरफ, बीजेपी की तरफ से गिरिराज सिंह  और आरजेडी की तरफ से तनवीर हसन  किस्मत आजमा रहे हैं. बेगूसराय का जातीय समीकरण देखें तो यह भूमिहार बहुल क्षेत्र है और गिरिराज सिंह और कन्हैया, दोनों भूमिहार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के प्रत्याशी तनवीर हसन ने यहां भाजपा को जबरदस्त टक्कर दी थी, लेकिन भाजपा के भोला सिंह से वह 58,000 से ज्यादा वोटों से हार गए थे. पिछली बार भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे.  

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    सीपीआई ने बेगूसराय से कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाकर इस सीट और इसी के साथ बिहार में अपनी वापसी का राह देख रही है, लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि जातीय समीकरणों के चलते कहीं सीपीआई का ये सपना, सपना ही न रह जाए |

    2014 के लोकसभा चुनाव में भोला सिंह को जहां 4,28,227 वोट मिले थे, तो तनवीर हसन को 3,69,892 मत मिले थे. इस बार कन्हैया कुमार के इस सीट से चुनावी मैदान में उतरने के बाद मुकाबला रोचक हो गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक राजन झा इन दिनों बेगूसराय चुनाव पर नजर रखे हुए हैं. वे कहते हैं, "कन्हैया ने अपना या यूं कहें कि वामपंथी वोटबैंक को सुरक्षित तो रखा ही है, अन्य पार्टियों के वोटबैंक में सेंधमारी करने में भी सफल रहा है, जिससे इसकी स्थिति मजबूत बनी हुई है". उन्होंने कहा कि बछवाड़ा, बखरी और तेघड़ा विधानसभा में कन्हैया का अपना वोटबैंक है, जबकि चेरिया बरियारपुर, बेगूसराय और मटिहानी के अन्य पार्टियों के वोटबैंक में कन्हैया ने सेंधमारी की है. झा कहते हैं कि कन्हैया के पक्ष में सभी मतदान केंद्रों में मत मिलना भी तय माना जा रहा है.  


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    आपको बता दें कि बछवाड़ा, तेघड़ा, बेगूसराय, मटिहानी, बलिया, बखरी, चेरियाबरियारपुर सात विधानसभा क्षेत्र वाले बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र  में एक अनुमान के मुताबिक, 19 लाख मतदाताओं में से भूमिहार मतदाता करीब 19 फीसदी, 15 फीसदी मुस्लिम, 12 फीसदी यादव और सात फीसदी कुर्मी हैं. यहां की राजनीति मुख्य रूप से भूमिहार जाति के आसपास घूमती रही है. इस बात का सबूत है कि पिछले 10 लोकसभा चुनावों में से कम से कम नौ बार भूमिहार सांसद बने हैं. बेगूसराय के वरिष्ठ पत्रकार श्यामा चरण मिश्र कहते हैं कि गिरिराज सिंह की भूमिहार, सवर्णो, कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग पर अच्छी पकड़ है, जबकि राजद मुस्लिम, यादव और पिछड़ी जाति के वोटरों को अपने खेमे में किए हुए है. उन्होंने कहा कि राजद अगर अपना उम्मीदवार नहीं देता, तब कन्हैयाकी जीत पक्की मानी जा सकती थी. गौरतलब है कि बेगूसराय में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 29 अप्रैल को वोट डाला जाएगा.
     (इनपुट-IANS से भी)
    अमित  मेहलावत द्वारा किया गया  पोस्ट 

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