श्रीमद्भागवत कथा को केवल मृत्युलोक में ही प्राप्त करना संभव है
We News 24 Hindi »सीतामढ़ी,बिहार
कैमरामैन पवन साह के साथ ब्यूरो संवाददाता असफाक खान की
रिपोर्ट
सीतामढी;श्री राधा कृष्ण गोयंका महाविद्यालय सीतामढ़ी दिनांक 15 से 21 अक्टूबर 2019"कण-कण में मौजूद ईश्वर का दिव्य दृष्टि द्वारा साक्षात्कार"
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक 'सर्वश्री आशुतोष महाराज' जी हैं।
सांस्कृतिक पुरुष श्री आशुतोष महाराज जी ने विश्व में बंधुत्व और शांति की स्थापना हेतु की दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का निर्माण किया है। आपके द्वारा प्रदत्त ब्राह्मज्ञान के प्रकाश तथा प्रेम व वात्सल्य की सरिता ने असंख्य मुरझाए हृदयों को नवजीवन दिया है। आपकी युगांतरकारी व संस्कृति प्रेम से ओतप्रोत शिक्षाओं ने मानवता को विभाजित करने वाली सीमाओं को नष्ट कर डाला है। इन्हीं पुरुष के आशीर्वाद से उनकी शिष्या भागवत आचार्य महामनस्वीनि विदुषी सुश्री आस्था भारती जी ने कथा के प्रथम दिवस श्रीमद् भागवत कथा का महत्व का सुनाया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत भारतीय साहित्य का अपूर्व ग्रंथ है। यह भक्ति रस का ऐसा सागर है जिसमें डूबने वालों को भक्ति रुपी मणि माणिक्यों की प्राप्ति होती है। भागवत कथा वह परम तत्व है जिसकी विराटता व अपरिमित व असीम है। साध्वी जी ने श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या करते हुए बताया कि 'भागवतः प्रोक्तम् इति भागवत' यानी कि भगवान की वह वाणी, वह कथा जो हमारे जड़वत् जीवन में चैतन्यता का संचार कर दे, वही है श्रीमद्भागवत महापुराण की गाथा।
पापनाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी, भवभयहारिणी-
श्रीमद्भागवत कथा को केवल मृत्युलोक में ही प्राप्त करना संभव है।
कथा के दौरान भक्ति के वास्तविक अर्थ से भी परिचित करवाया गया। कथा व्यास जी ने समझाया की भक्ति और विभक्ति दो शब्द हुआ करते हैं। आज इंसान प्रभु से विभक्त होने के कारण ही दुखी है। भक्ति का अर्थ ही है परमात्मा से जुड़ जाना और यही सच्चा धर्म भी है। Religion comes from latin word "religare" with 're' meaning again to legare meaning to unite. Thus true religion is to reunite man with one god.
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ने ब्रह्मज्ञान द्वारा इसी सनातन धर्म व शाश्वत भक्ति को लाखों श्रद्धालुओं के जीवन में उद्घाटित किया है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं जैसे 'माइक्रोस्कोप' के द्वारा सूक्ष्म जीवाणुओं को देखा जाता है, ठीक ऐसे ही में कण-कण में मौजूद उस ईश्वर को दिव्य दृष्टि के द्वारा साक्षात्कार किया जाता है।
साध्वी जी ने बताया कि श्री गुरु आशुतोष महाराज जी ने नेत्रहीन व अपंग वर्ग को आध्यात्म के सर्वोत्तम विज्ञान ब्रह्मज्ञान द्वारा दृष्टि प्रदान किया 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' के अलौकिक पथ पर बढ़ाया है। अंतर्दृष्टि एक ऐसा अनूठा आंदोलन है जो इस विशेष वर्ग को 'स्वानुभूति' से 'स्वावलंबन' की सशक्त डगर पर बढ़ाने चला है। चिकित्सा एवं उपचार सेवाओं के साथ-साथ इस वर्ग को आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर बनाने हेतु संस्थान द्वारा फैक्ट्रीज का निर्माण किया गया है। साध्वी जी ने अपने श्रोताओं से विनम्र निवेदन किया कि वे भी इस वर्ग के द्वारा निर्मित अंतर्दृष्टि प्रोडक्ट्स जैसे मोमबत्तियां, आयुर्वेदिक साबुन इत्यादि को बढ़-चढ़कर खरीदें और इस वर्ग के हौसलों की लौ को जिंदा रखें।
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