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    Coronavirus:सबसे बड़ा सवाल: जापान कैसे काबू पाया कोरोना जैसे महामारी पर ?

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    ब्यूरो रिपोर्ट 

    नई दिल्ली :चीन के बाद पहला कोरोना मरीज जापान में मिला था. जो वुहान से वहां 10 जनवरी के आसपास आया था. इसके बाद जापान उन तीन क्रिटिकल सप्ताह से गुजर चुका है जबकि कोरोना विस्फोटक रूप ले लेता है. वहां केवल 1000 संक्रमित मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है. जापान ने ऐसा कैसे कर लिया. जानें सवाल-जवाब की शक्ल में-


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     चीन में जब दिसंबर में कोरोना शुरुआती दौर में फैल रहा था तब चीन के बाहर जापान अकेला देश था, जिसका एक नागरिक 10-15 जनवरी के बीच कोरोना से संक्रमित होकर जापान लौटा. इसके बाद पूरी दुनिया में जो घटनाक्रम हुए उससे हर कोई मान रहा था कि जापान में भी कोरोना की सूनामी आएगी. इतने बड़े पैमाने में लोग कोरोना का शिकार होंगे कि बचाना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि अब वो ऐसे देशों में है, जहां कोरोना ज्यादा कुछ नहीं कर पाया. हालांकि ये स्थिति हेल्थ एक्सपर्ट्स को उलझन में भी डाल रही है.
    क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जापान ने भी कड़े कदम उठा लिए थे?

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    -नहीं बल्कि इसका उल्टा हुआ. चीन के उलट ना तो जापान ने आइसोलेशन के इंतजाम किए और ना ही यूरोप और अमेरिका की तरह उसने अपने लोगों को कोरंटीन में रहने के लिए मजबूर किया. जापान ने लॉकडाउन भी नहीं किया. अलबत्ता उसने स्कूल जरूर बंद किए लेकिन वहां लोगों की जिंदगी सामान्य तरीके से चलती रही.

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    तोक्यो तो हमेशा दुनिया का सबसे व्यस्त रहने वाला शहर है, क्या वहां कुछ पाबंदियां लगीं?
    - ऐसा भी नहीं हुआ. तोक्यो में 3.2 करोड़ लोग रहते हैं. वहां भी बिजी ऑफिस में ट्रेनों में भीड़ होती रही और रेस्तरां भी खुले रहे.


    तो जापान सरकार ने इसे कैसे काबू किया?

    - जापान सरकार ने बहुत तेजी से उन क्लस्टर्स की पहचान की, जहां कोरोना प्रभावित लोग थे और वो जिन लोगों के संपर्क में आए थे. उसने इन पर नजर रखी और उनकी टेस्टिंग की. जापान में कोरोना टेस्टिंग केवल उन्हीं लोगों की हो रही है, जिसमें इसके लक्षण दीख रहे हैं या कुछ संकेत मिल रहे हैं. सबको टेस्ट की प्रक्रिया से नहीं गुुजारा जा रहा. हालांकि उसके द्वारा शुरू में धीमेपन और लिमिटेड टेस्टिंग की आलोचना भी हुई.

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    जापान के लिए सबसे टेस्टिंग टाइम क्या था?
    - जब जापान के बंदरगाह पर डायमंड प्रिंसेस नाम का जहाज आकर लगा. ये चीन से चला था. इस जहाज में हर पांच में एक शख्स कोरोना से इंफेक्टेड था. योकोहामा में ये जहाज शुरू में खड़ा रहा. उस पर जापान कोई फैसला ले नहीं पा रहा था लेकिन बाद में इसके लोगों को योकोहामा में कोरेंटीन किया गया.

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