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    LAC पर चीन बढ़ा रहा है विवाद ,मजबूरी में भारत को भी सेना की तैनाती बढ़ानी पड़ी



    We News 24 Hindi »नई दिल्ली 

    काजल कुमारी  की रिपोर्ट


    नई दिल्ली : भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा LAC पर तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए साफ कहा है कि सीमा पर मौजूदा हालात बने रहने पर सबंध बेहतर बनाने की कोशिश बिगड़ेगी। भारत ने सीमा पर चीन की तरफ सैन्य जमावड़े का उल्लेख करते हुए कहा है कि मजबूरी में उसे भी सेना की तैनाती बढ़ानी पड़ी। भारत ने चीन से विवाद के पूरे घटनाक्रम का हवाला देते हुए कहा है कि मई की शुरुआत में, चीनी पक्ष ने गलवान घाटी क्षेत्र में भारत के सामान्य, पारंपरिक गश्त पैटर्न में बाधा डालने के लिए कार्रवाई की थी। परिणामस्वरूप दोनो पक्षो के बीच आमना सामना हुआ था।

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    मई में की यथास्थिति बदलने की कोशिश
    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "मई के मध्य में, चीनी पक्ष ने पश्चिमी क्षेत्र के अन्य क्षेत्रों में एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की। हमने राजनयिक और सैन्य दोनों स्तरों पर चीन की कार्रवाई पर अपना विरोध दर्ज किया था। यह स्पष्ट किया कि इस तरह का कोई भी बदलाव हमारे लिए अस्वीकार्य है। इसके बाद दोनो सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने 6 जून 2020 को मुलाकात की और एलएसी पर तनाव कम करने के लिए सहमति बनी, लेकिन चीनी पक्ष ने इस सहमति का सम्मान नही किया। इसकी वजह से 15 जून को हिंसक झड़प हुई। भारत ने चीन की यथास्थिति में बदलाव के प्रयास को विफल कर दिया। इसके बाद से क्षेत्र में बड़ी संख्या में दोनों पक्ष तैनात हैं, जबकि सैन्य और राजनयिक संपर्क जारी हैं।

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    समझौतों का पालन नहीं
    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "मई की शुरुआत से, चीनी पक्ष ने एलएसी के साथ सैनिकों की एक बड़ी टुकड़ी को इकट्ठा किया है। यह हमारे विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के प्रावधानों के अनुसार नहीं है। विशेष रूप से ये कवायद भारत और चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शांति और स्थिरता के रखरखाव पर 1993 के प्रमुख समझौते के खिलाफ है।" विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच हुए विभिन्न समझौतों का पालन नहीं किया, जिससे सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनातनी है। चीन का व्यवहार भी पिछले कुछ समय से सीमा पर बदला है।

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    चीन के चलते तनाव
    प्रवक्ता ने कहा कि चीन की हरकतें सीमा पर शांति कायम रखने के लिए दोनों देशों के बीच हुए विभिन्न समझौतों के अनुरूप नहीं है। खासकर 1993 के समझौते में साफ कहा गया है कि दोनों पक्ष एलएसी पर न्यूनतम सैन्य बल रखेंगे, लेकिन चीन ने ऐसा नहीं किया और मजबूरन भारत को भी सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ानी पड़ी है।

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    संबंधों के लिए सीमा पर शांति जरूरी
    उन्होंने कहा कि एलएसी पर चीन के अवैध दावों से भी तनाव बढ़ा है। गलवान घाटी में चीन की पोजीशन में बदलाव इसका प्रमाण है। भारत का साफ कहना है कि दोनों देशों के बीच संबंधों का आधार सीमा पर शांति है। इसलिए जरूरी है कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए स्थापित तंत्र का इस्तेमाल किया जाए |

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