वाराणसी: पूरी तरह स्वदेशी 'कोवाक्सिन' के पहले ह्यूमन ट्रायल (मानव परीक्षण) की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।एम्स में बुधवार को 12 लोगों की स्क्रीनिंग पूरी कर ली गई। सबसे पहले शुक्रवार को दो लोगों को डोज दिया जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो इसी साल के अंत या अगले साल के पहले महीने तक आम लोगों के लिए वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। वैक्सीन के ट्रायल को लेकर एम्स में चल रही तैयारियों और अलग-अलग फेज पर एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉक्टर संजय राय ने आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से बात की।
बीएचयू की साइंस फैकल्टी के छात्र और यहीं के सरसुंदर लाल अस्पताल में लेक्चरर रहे डाक्टर संजय राय ने बताया कि यह वैक्सीन पूरी तरह भारतीय है। तीन फेज में परीक्षण पार करने के बाद यह वैक्सीन बाजार में आम लोगों के लिए आएगी। पहले फेज में इसका 375 लोगों पर परीक्षण किया जाएगा। इनमें 100 लोगों पर परीक्षण एम्स में होगा।
हम लोग अभी केवल दिल्ली के लोगों पर ही ट्रायल करेंगे। ताकि उनका फालोअप भी आसानी से किया जा सके। फिलहाल 12 लोगों को बुलाकर स्क्रीनिंग की गई है। इसकी रिपोर्ट आते ही दो लोगों को सबसे पहले शुक्रवार को वैक्सीन का डोज दिया जाएगा।
छह महीने में पूरा होगा तीन फेज डाक्टर संजय राय बताया कि कोवाक्सिन को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया है। जानवरों पर इसका ट्रायल हो चुका है। एम्स के साथ ही देश में 12 सेंटर पर इसका परीक्षण होगा। 375 लोगों को वैक्सीन देना है। इनमें 100 लोगों पर परीक्षण हमें करना है और 275 पर अन्य सेंटर करेंगे। वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल तीन चरणों में छह महीने में पूरा होगा।
पहले चरण में फोकस सुरक्षा पर रहेगा। इसके साथ ही वैक्सीन कितनी प्रभावित है इसका परीक्षण होगा। उसके बाद फेज टू में सैंपल साइज 450 हो जाएगा। इसका रिजल्ट आने के बाद तीसरा और फाइनल चरण शुरू होगा। इसमें हजारों लोगों पर परीक्षण करने के साथ ही यह देखा जाएगा कि एंटीबाडी कितना बन रहा है। इस दौरान हर मरीज का हम छह महीने तक फालोअप करते रहेंगे।
18-55 साल वाले स्वस्थ लोगों का चयन ट्रायल के लिए पूरी तरह स्वस्थ लोगों का ही चयन होगा। इसमें 18 से 55 साल वाले ऐसे लोगों का चयन करेंगे जिन्हें किसी प्रकार की कोई बीमारी न हो। कोरोना भी न हुआ हो। फिलहाल दिल्ली के ही लोगों पर ट्रायल होगा। ताकि फालोअप आसानी से हो सके। समय समय पर इनका ब्लड लेकर परीक्षण करते रहना होगा।
100 लोगों की जरूरत, 1800 लोग सामने आए डाक्टर संजय राय ने बताया कि ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिलते ही लोगों से स्वेच्छा से ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया था। इसके लिए एक ई-मेल जारी किया गया था। रात भर में ही एक हजार से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए मेल भेज दिया। रविवार रात तक यह संख्या 1800 को पार कर गई। पूरे देश से लोग ट्रायल के लिए आगे आए हैं।
पूर्वांचल और बनारस से खास लगाव डॉक्टर संजय राय का पूर्वांचल से खास लगाव रहा है। वह बलिया के सिकंदरपुर के रहने वाले हैं और बीएचयू में पढ़ने के साथ ही दो सालों तक सरसुंदर लाल अस्पताल में लेक्चरर भी रहे हैं। डॉक्टर राय का कहना है कि हर दो महीने में बनारस जरूर जाता हूं। वहां राजेंद्र और केशव का पान जरूर खाता हूं। एयरपोर्ट पर जो भी गाड़ी वाला मुझे लेने आता है पान साथ लेकर ही आता है। वहां का लौंगलता और लस्सी बनारस खींच लाती है।
बलिया जाते समय भी बनारस जरूर रुकता हूं।डाक्टर राय ने 1981 में बीएचयू के साइंस फैकल्टी से पढ़ाई की है। ब्रोचा एनेक्सी हॉस्टल के सबसे पहले अंत:वासियों में डाक्टर संजय राय का नाम है। कानपुर मेडिकल कालेज में एमबीबीएस करने के बाद बीएचयू से ही एमडी की है। इसके बाद 1999-2000 में दो सालों तक सरसुंदर लाल अस्पताल में एडाक पर लेक्चरर भी रहे। यहां से चंडीगढ़ एम्स और फिर दिल्ली एम्स पहुंचे।
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