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    देश के हर एक युवा का आदर्श शहीद भगत सिंह है।



    We News 24 Hindi »सीतामढ़ी/बिहार

    पवन साह की रिपोर्ट



    सीतामढ़ी :छात्र राजद के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश यादव ने बथनाहा प्रखंड के तुरकौलिया ग्राम में अपने साथियों के साथ 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लालपुरा जिला के बंगा  ग्राम में पिता सरदार किशन सिंह एवं माता विद्यावती कौर के संतान के रूप में जन्मे शहीद ए आज़म भगत सिंह के तल्य चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके 113 वें जयंती मनाया। उन्होंने कहा कि वीर योद्धा की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि जिनका विचार भगत सिंह के विचारों से ठीक उल्टा है वो भी इनको अपना आदर्श मानते हैं। 


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    कई लोग भगत सिंह के योगदान को बम-पिस्तौल, सोंडर्स की हत्या, जेल और फाँसी से ज़्यादा नहीं समझते। असल में भगत सिंह की वैचारिकी बिल्कुल साफ़ और स्पष्ट थी। वो कहते थे बम और पिस्तौल कभी इंक़लाब नहीं ला सकते। उनके इंक़लाब की समझ के अनुसार जब तक किसी एक मनुष्य का किसी दूसरे मनुष्य द्वारा शोषण हो रहा हो तब तक इंक़लाब की लड़ाई बाकी है। उनकी आज़ादी का मतलब सिर्फ़ अंग्रेजों को देश से भगा देने भर तक सीमित नहीं था वो व्यवस्था परिवर्तन की बात करते थे। 

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    जान बूझ कर भगत सिंह को हिंसा की बहस तक समेटने की साज़िश की गई ताकि भगत सिंह को गांधी के विरुद्ध खड़ा किया जा सके जबकि भगत सिंह कहते थे कि अगर जेल से निकल पाया तो देश की स्वतंत्रता के लिए और व्यवस्था परिवर्तन के लिए जन-आंदोलन में शामिल होऊँगा। भगत सिंह के जिन साथियों को फाँसी नहीं हुई उनमें से ज़्यादातर लोग उस वक़्त की कॉम्युनिस्ट पार्टी में शामिल भी हुए। उनके जेल के साथी अजय घोष तो बाद में भारतीय कॉम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी बने। शुरू से ही भगत सिंह पर समाजवादी और साम्यवादी विचारधारा का गहरा प्रभाव था। 

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    भगत सिंह हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशियलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी करने का प्रस्ताव लेकर आए थे। इनकी वैचारिक स्पष्टता एक बड़ी वजह थी कि अंग्रेज किसी भी सूरत में भगत सिंह को फाँसी पर चढ़ाना चाहते थे। जब उनको फाँसी पर चढ़ाने के लिए सिपाही लेने आए तो उन्होंने कहा “थोड़ा ठहर जाओ एक क्रांतिकारी दुसरे क्रांतिकारी से मिल रहा हैI” उस वक़्त वो लेनिन की किताब ‘राज्य और क्रांति’ पढ़ रहे थे। भगत सिंह की जेल डायरी को हर किसी को पढ़ना चाहिए ताकि इस महान योद्धा को समग्रता में समझा जा सके।


    आगे  यादव ने कहा कि युवा अवस्था मानव जीवन के वसंत काल की तरह होती हैं इस उम्र में युवाओं में अपार शक्ति होती हैं जिसे भगत सिंह की तरह युवाओं को अपने देश व समाज सेवा में लगानी चाहिए। वर्तमान समय में देश को फिर से भगत सिंह की जरूरत है ताकि देश के बेरोजगारी,अशिक्षा, किसान विरोधी कृषि बिल के विरूद्ध, बेरोजगारी के खिलाफ , ध्वस्त स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ, कोरोना महामारी के खिलाफ और हर आवाम के लिए इस बेरहम सत्ता के सामने सर उठा कर लड़ सके।


    सत्ता के सामने झुक जाना, समझौता कर लेना, माफ़ी माँग लेना, ये भगत सिंह होने के विरुद्ध है। इसलिए साथियों, न्याय के लिए, बराबरी के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करना, किसानों के पक्ष में खड़ा होना, सबके रोज़गार के लिए लड़ना, किसी भी शोषण और अन्याय का डट कर मुक़ाबला करना ही शहीद ए आज़म भगत सिंह को सही मायनों में याद करना है। दरअसल भगत सिंह आज भी जनता के संघर्षों में ज़िंदा हैं।


    "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ,देखना है जोड़ कितना बाजू ए कातिल में है"

    हमारा अरमान, भगत सिंह के सपनों का हिंदुस्तान!इंक़लाब ज़िंदाबाद। शहीद भगत सिंह अमर रहे के नारे मौके पर उपस्थित छात्र राजद के पूर्व जिला महासचिव शिवनाथ ठाकुर,परिहार पूर्व प्रखंड सचिव राहुल यादव ,संभू यादव ,रामानंद कुमार आदि ने इन्कलाब जिंदाबाद की नारे लगाए। 


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