बीजिंग: भारत और रूस के मजबूत रिश्ते चीन की नजरों में हमेशा से खटकते रहे हैं. उसने कई मौकों पर प्रयास किया कि दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ जाएं, लेकिन कामयाब नहीं हो सका. अब एक बार फिर चीन अपनी इसी साजिश को अंजाम देने में लग गया है. भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के रद्द होने की खबर सामने आते ही चीन ने जहर उगलना शुरू कर दिया है. कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत-रूस के रिश्तों में दरार आ गई है.
बढ़ रहीं हैं दूरियां ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में लिखा है कि साल 2000 के बाद यह पहला मौका है जब भारत और रूस के बीच शिखर सम्मेलन को टाला गया है. इससे दोनों देशों के रिश्तों में दरार का स्पष्ट संकेत मिलता है. अखबार में आगे लिखा गया है कि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रूस और भारत केवल सहयोगी नहीं, बल्कि उनका संबंध गठबंधन से भी कहीं आगे है. दोनों के बीच हितों को लेकर भी टकराव नहीं है. हाल के समय में मॉस्को और नई दिल्ली के बीच रणनीतिक संबंध स्थिर रहे हैं. हालांकि, शिखर सम्मेलन रद्द होना कुछ और ही दर्शा रहा है.
कई मुद्दों पर है विवाद संपादकीय में कहा गया है कि रूस और भारत दोनों ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते इस साल होने वाला सम्मेलन रद्द कर दिया गया, लेकिन इससे कई प्रमुख मुद्दों पर दोनों देशों के बीच जारी विवाद को छिपाया नहीं जा सकता. दोनों पक्षों की चिंताएं अलग-अलग हैं और एक-दूसरे की कूटनीतिक नीतियों के बारे में विचार भी अलग-अलग हैं. मॉस्को को लगता है कि नई दिल्ली वॉशिंगटन के साथ करीबी बढ़ा रही है. इस वजह से दोनों के रिश्ते प्रभावित हुए हैं.
अमेरिका ने डाला दबाव ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत की अमेरिका से बढ़ती नजदीकी से रूस और भारत के बीच पारंपरिक हथियारों के व्यापार को गंभीर झटका लगा है. भारत के हथियारों के आयात में रूस का आधे से अधिक हिस्सा है, लेकिन, हाल ही में अमेरिका ने भारत पर दबाव बढ़ाया है कि वो रूस से हथियारों की खरीद से दूर रहे. चीनी मीडिया ने यह भी कहा कि 8 दिसंबर को मॉस्को में एक थिंक टैंक को संबोधित करते हुए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों पर भारत को रूस से दूर करने का आरोप लगाया था.
व्लादिमीर पुतिन का दिया हवाला चीनी अखबार ने ये दावा भी किया है कि अक्टूबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वल्दाई इंटरनेशनल डिस्कशन क्लब की 17वीं वार्षिक बैठक में भारत के साथ बिगड़ते रिश्तों की तरफ इशारा किया था. पुतिन ने चीन, जर्मनी, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का उल्लेख किया, लेकिन भारत के बारे में कुछ नहीं कहा था. यह दर्शाता है कि रूस भारत में ‘अंकल सैम’ के बढ़ते प्रभाव से खफा है. बता दें कि चीन लगातार रूस के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने में लगा है. वो चाहता है कि रूस और भारत के बीच चौड़ी खाई खोद दी जाए. अब जब दोनों देशों के बीच शिखर सम्मेलन रद्द हो गया, तो उसे अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने का एक मौका मिल गया है.
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