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    बिहार के सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही ,सफाई कर्मी कर रहे कोरोना की जांच, लोगों ने किया बवाल




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    We News 24 Hindi »पटना, बिहार

    राजकुमार की  रिपोर्ट 


     

    पटना : बिहार में एक ओर से तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं बांका जिला में स्वास्थ्य विभाग के लिए कोरोना जांच सिर्फ मजाक बनी हुई है। स्थिति ये है कि यहां पर सफाई कर्मचारी कोरोना जांच कर रहे हैं।

    बिहार (Bihar) में एक ओर से तो लगातार कोरोना पॉजिटिव मामलों (Corona positive cases) की संख्या तेजी से बढ़ रही है। दूसरी ओर बिहार के बांका जिले (Banka district) में स्वास्थ्य विभाग (health Department) के लिए कोरोना जांच (Corona test) केवल मजाक भर है। ऐसे ही एक अजब-गजब मामला बांका जिला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रजौन (Community Health Center Rajaun) से सामने आया है। यहां पर कोरोना जांच मात्र मजाक भर है। क्योंकि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना का जांच करने के लिए कोई प्रशिक्षित कर्मी मौजूद नहीं है। इसलिए यहां पर केंद्र में साफ-सफाई का कार्य करने वाले सफाई कर्मचारी ही कोरोना जांच कर रहे हैं। वहीं कोरोना जांच की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सफाई कर्मचारी के जिम्मे सौंपी जाने पर सवाल उठने लाजमी हैं।

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    स्थति ये है कि केंद्र पर पूरे विश्वास के साथ इन सफाई कर्मचारियों से कोरोना जांच करवाने के लिए काफी लोग पहुंच भी रहे हैं। साथ लोग इनसे कोरोना जांच कराने के बाद अपने मन को संतुष्ट भी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले इसी केंद्र पर एक व्यक्ति ने कोरोना जांच कराई थी। यहां उनकी रिपोर्ट नेगेटिव बताई गई थी। तबियत ज्यादा बिगड़ी तो दूसरे दिन उनको पटना ले जाया गया। पटना में चिकित्सक ने उनकी कोरोना जांच कराई तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई थी। जानकारी के अनुसार रजौन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना जांच करने के लिए बैठे सफाई कर्मचारी विजय भले ही सर्जिकल ग्लव्स का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन सफाई कर्मी जैसे पद पर तैनात कर्मचारी को पीपीई किट क्या है, एंटीजन जांच के मानक क्या हैं और एंटीजन जांच के तरीकों के बारे में कुछ भी पता नहीं है।

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    बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना जांच में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी पवन कुमार का सहयोग करने के लिए इस सफाई कर्मचारी को सहायक के तौर पर उपलब्ध कराया है। इससे पता चलता है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की जांच के नाम पर किस तरह लापरवाही का खेल जारी है। साथ ही कोरोना जांच के नाम पर यह लापरवाही का खेल लोगों के स्वास्थ से भी खेला जा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रजौन पर शनिवार को दशरथ चौधरी, महेश चौधरी, अरुण सिंह, राजीव कुमार व अकाश अमन आदि क्षेत्रवासी कोरोना जांच कराने के लिए पहुंचे। जांच करने वाला यह सफाई कर्मी उक्त केंद्र पर पिछले कई दिनों से लोगों की कोरोना जांच कर रहा है।

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    बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना जांच में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी पवन कुमार का सहयोग करने के लिए इस सफाई कर्मचारी को सहायक के तौर पर उपलब्ध कराया है। इससे पता चलता है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की जांच के नाम पर किस तरह लापरवाही का खेल जारी है। साथ ही कोरोना जांच के नाम पर यह लापरवाही का खेल लोगों के स्वास्थ से भी खेला जा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रजौन पर शनिवार को दशरथ चौधरी, महेश चौधरी, अरुण सिंह, राजीव कुमार व अकाश अमन आदि क्षेत्रवासी कोरोना जांच कराने के लिए पहुंचे। जांच करने वाला यह सफाई कर्मी उक्त केंद्र पर पिछले कई दिनों से लोगों की कोरोना जांच कर रहा है।

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    कोरोना जांच करने वाले व्यक्ति की पहचान (चतुर्थवर्गीय कर्मचारी) के तौर पर होने के बाद लोगों ने अस्पताल परिसर में हंगामा भी किया गया। हंगामा होता देख इन दोनों चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों ने जांच का कार्य बंद कर दिया था। इस संबंध में सफाई कर्मचारी से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उन्हें कोरोना जांच करने का आदेश मिला है। आदेश पर ही वो इस कार्य को कर रहे हैं। मामले पर सिविल सर्जन डॉ सुधीर कुमार महतो का कहना है कि सफाई कर्मी द्वारा कोरोना जांच किया जाना गलत है। साथ ही उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी ली जा रही है।


    मामले पर स्वास्थ्य प्रबंधक राजेश रंजन ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चंद्रशेखर चौधरी नामक एक ही लैब टेक्नीशियन तैनात है। जिनको टीबी की भी जांच करनी होती है। वहीं लैब टेक्नीशियन शनिवार को ट्रेनिंग करने गये थे। सफाई कर्मचारी द्वारा कोरोना जांच के सवाल पर उन्होंने कहा कि सहायक के तौर पर सफाई कर्मचारी का सहयोग लिया जाता है।



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