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    मेडिकल नीट परीक्षा में आरक्षण खत्म करने के विरोध में अंबेडकर स्थल पर छात्रों का धरना प्रदर्शन







    We News 24»सीतामढ़ी , बिहार

    सुनील कुमार   की रिपोर्ट 

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    सीतामढ़ी : दिनांक  - 26-07-2021पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग आरक्षण बचाओ मोर्चा, कर्पूरी सेना तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग छात्र संघ-सीतामढ़ी के संयुक्त तत्वाधान में मेडिकल नीट परीक्षा में अति पिछड़ा एवं पिछड़ा का आरक्षण समाप्त करने, जातिगत जनगणना नहीं कराने, रोहिणी आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करने, ओबीसी का वर्गीकरण पर अति पिछड़ा वर्ग का राष्ट्रीय स्तर पर पहचान नहीं करने, इत्यादि के विरोध में अंबेडकर स्थल डुमरा पर एक दिवसीय धरना दिया गया। धरना की अध्यक्षता मोर्चा के संयोजक के फेकन मंडल संचालन सहसंयोजक संतोष कुमार अधिवक्ता ने किया।

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    धरना को संबोधित करते हुए अध्यक्ष फेकन मंडल ने कहा कि एक साजिश के तहत अति पिछड़ा एवं पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मेडिकल नीट परीक्षा में विगत चार वर्षों से आरक्षण से वंचित किया गया, जिसके कारण 11025 सीट खाली रह गए।उन्होंने खाली सीट को भरते हुए आरक्षण लागू करने की मांग की।



    संतोष कुमार अधिवक्ता ने कहा कि गुलाम भारत में अंतिम जनगणना 1931 में हुई थी। जातिगत जनगणना होने से प्रत्येक जातियों की स्थिति का पता चलता है। शासक वर्ग अपनी नाकामी छुपाने के लिए जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती है। उन्होंने सभी वर्गों एवं जातियों के विकास के लिए मापदंड तैयार करने के लिए जातिगत जनगणना कराने की मांग की।

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    अत्यंत पिछड़ा छात्र संघ के धनरंजय सहनी ने कहा कि, काका कालेकर आयोग की रिपोर्ट के अनुसार अत्यंत पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 46% है। दबंग पिछड़ा वर्ग के शासक नेता, अति पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या को ओबीसी में दिखाकर अति पिछड़ा वर्ग के साथ हकमारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंडल आयोग लागू हुए 28 वर्ष हो गए, लेकिन दबंग पिछड़ा वर्ग के असहयोग के कारण, राष्ट्रीय स्तर पर अति पिछड़ा वर्ग का वर्गीकरण नहीं किया गया।


    कर्पूरी सेना के निकु कुमार मंडल ने कहा कि, मंडल आयोग की अनुशंसा एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण 26 वर्षों बाद अक्टूबर 2017 में, ओबीसी के वर्गीकरण का अति पिछड़ा वर्ग की पहचान के लिए भारत सरकार ने जस्टिस जी रोहिणी की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया, जिसको 6 हफ्ते में रिपोर्ट देना था। लेकिन एक साजिश के तहत रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं करना भारत के अति पिछड़ा वर्ग के साथ नाइंसाफी है। उन्होंने रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को प्रकाशित कर उसके अनुशंसा को लागू करने की मांग की।

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    छात्र नेता संभू पंडित ने कहा कि, प्रतिनिधित्व विहीन न्यायपालिका से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती है उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के बजाय प्रतियोगी परीक्षा से करने की मांग की।


    धरना को गोपाल मुखिया, लालू सदा, राज कपूर, राम जुलुम मुखिया, रंजन चंद्रवंशी, संजय कुमार, सोनू मंडल, संदीप मंडल, मिथुन ठाकुर, सत्यजीत गुप्ता, सुनील कुमार, सुधीर चौरसिया, सुधीर कापड़, आनंद कुमार, मनीष कुमार, दिनेश यादव, रामजुलुम सिंह, अनिल कुमार भूतपूर्व सैनिक, प्रो.लल्लन राय, राम कृपाल दास, गौरी शंकर मंडल, राम सुरेश मंडल, गणेश सहनी सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे। 

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