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    आजादी के 74 साल बाद भी राजधानी दिल्ली के इस गांव में नहीं पहुंची परिवहन सुविधा, दो किमी पैदल चलने पर मिलती है बस

    तस्वीर वी न्यूज 24 


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    We News 24»मुंडका, नई दिल्ली

    दीपक कुमार  की रिपोर्ट 


    नई दिल्ली : भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है ,और अंग्रेजो  के गुलामी से आजादी मिले 74 साल बीत गए भारत ने कई क्षेत्रो में अपनी पहचान बनायीं लेकिन आज भी भारत में कुछ गाँव ऐसे है जरुरी सुविधाओ से महरूम है .लेकिन इसके वावजूद हमारे  नेता गण बड़े-बड़े दावे करते है .और अपनी ववाही भी लुटेते है, लेकीन सच्चाई कुच्छ और ही होता है .  


    आज हम आपको एक ऐसी ही एक सच्चाई से रूबरू करवाने जा रहा हु जिसे पढ़ कर आप हैरान हो जायेंगे .  तो आइये आपको एक जगह के बारे में बताने जा रहा हु देश के आजादी के 74 साल बाद भी परिवहन की सुविधा नहीं पंहुची .और ये गाँव कोई दूर दराज इलाके का नहीं है ये राजधानी दिल्ली का इलाका है .जी हाँ आपने सही पढ़ा . और ये गाँव है  मुंडका विधानसभा क्षेत्र में आपको बताते चले की  झिमरपुरा गाँव की आबादी तक़रीबन 500 से 1700 के बीच है और लोगो को सार्वजनिक वाहन पकड़ने के लिए 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है .

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    यंहा के स्थानीय लोग  परिवहन सुविधा शुरू करवाने के लिए अपने जनप्रतिनिधि   पार्षद, विधायक से तो गुहार लगा ही चुके हैं, इसको लेकर वह कई बार इन्होने विरोध प्रदर्शन भी किया , लेकिन इनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ । परिवहन सुविधा की कमी  होने की वजह से करीब 15 सौ की आबादी वाले गांव के एक फीसद लोग भी सरकारी नौकरी नहीं पा सके हैं। क्योंकि गांव में पांचवी कक्षा तक का ही स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें दूसरे गांवों में जाना पड़ता है। ऐसे में सुबह दो किलोमीटर पैदल जाना व दो किलोमीटर पैदल आना बच्चों के लिए संभव नहीं है।


    वहीं आसपास के गांवों के शरारती तत्व भी शराब आदि का सेवन करके रास्ते पर खड़े रहते हैं। गांव के लोगों के अनुसार वह गांव की बहू-बेटियों से भी छेड़छाड़ करते हैं, जिस वजह से ग्रामीणों ने बेटियों को स्कूल भेजना ही बंद कर दिया है।मजबूरी में गांवों के लोग खेती करने को मजबूर हैं।ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव में बस सुविधा शुरू हो जाए तो गांव की तकदीर ही बदल जाएगी।

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    स्थानीय लोगो के अनुसार  परिवहन सुविधा न होने की वजह से गांव की बहु बेटियों को पैदल ही आना जाना  पड़ता है। दो किलोमीटर लंबे रास्ते में आसपास के गांवों के शरारती तत्व शराब आदि का सेवन करके खड़े रहते हैं। वह बेटियों से छेड़छाड़ करते हैं। इस वजह से लोगों ने बेटियों को बाहर भेजना भी बंद कर दिया।


    इसके आलावा भी  गांव में काफी समस्या हैं, लेकिन परिवहन सुविधा न होना सबसे बड़ी समस्या है।बच्चों को पढ़ने के लिए भी दूसरे गांवों में जाना पड़ता है वो भी रोज चार किलोमीटर पैदल चलकर।गर्मियों के दौरान तो कई बार बच्चे बेहोश होकर गिर जाते हैं। अब सवाल ये उठता है की इन नेताओ के बड़े-बड़े वादे को क्या कहेंगे और जो अभी दिल्ली के सत्ता पर काबिज केजरीवाल की सरकार जो आम की सरकार बताते है बड़े-बड़े वादे करते है क्या इनको इन गन्न्व वाले की समस्या नहीं दिखती क्या इसी को आजादी कहते है देश आजाद हुए 74 साल हो गया पर इनके गाँव आज भी एक अदद बस नहीं आती रैलियों में नेता यहां से लोगों को बसों में बैठाकर जरुर ले जाते हैं,  पर वही वोट लेने वाले नेता ने इनके लिए कोई बस नहीं चलाई .

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