33 साल बाद डा. रुबिया सईद ने पहचाना अपने अपहरणकर्ताओं को ,जानें किस मामले में कितनी सजा?
नई दिल्ली । कश्मीर में आतंकी हिंसा के इतिहास में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद के अपहरण केस को सबसे अहम माना जाता है। 33 वर्ष बाद डा. रुबिया सईद ने पहली बार टाडा अदालत में पेश हो अपने अपहरणकर्ताओं को पहचान लिया। डा. रुबिया सईद ने कश्मीरी अलगाववादी नेता एवं जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के सरगना यासीन मलिक के साथ तीन और लोगो की पहचान अपहरणकर्ता के रूप में की है।
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यासीन मलिक ने अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को इस घटना को अंजाम दिया था। रुबिया की आजादी की कीमत सरकार को पांच आतंकियों को रिहा कर चुकानी पड़ी। 122 घंटे बाद रूबिया रिह हो चुकी थी लेकिन मुफ्ती के दामन पर षडयंत्र का दाग लग गया। जो आतंकी रिहा किए गए थे उनमें शोख मोहम्मद, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, जावेद जरगार और अल्ताफ बट शामिल थे।
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यासीन मलिक को मई में हुई उम्रकैद की सजा, दस लाख रुपये जुर्माना
दिल्ली की पटियाला हाउस की विशेष एनआइए अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा-17(आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाते हुए दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया। दस मई को टेरर फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था।
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यासीन मलिक के खिलाफ कौन-कौन से केस
2017 में टेरर फंडिंग केस
1990 में रावलपोरा में चार वायु सेना के अधिकारियों की हत्या
1989 में देश के पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का अपहरण
1989 में कश्मीरी पंडित न्यायाधीश न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या
यसीन को यूएपीए के तहत किस मामले में हुई कितनी सजा
यूएपीए की धारा- 13 के तहत पांच साल
यूएपीए की धारा-15 व 16 (आतंकवादी अधिनियम) के तहत दस साल की सजा
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यूएपीए की धारा-18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना
यूएपीए की धारा-20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना
यूएपीए की धारा-38 व 39 के तहत पांच साल की सजा व पांच साल का जुर्माना
आइपीसी की धारा-120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना
आइपीसी की धारा-121ए (राष्ट्र के विरुद्ध युद्धोन्माद फैलाना) के तहत दस साल की सजा व दस हजार का जुर्माना
आइपीसी की धारा 121-ए (देशद्रोह) के तहत दस साल की सजा
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