Manipur Violence:विधायकों ने कहा मैतेई के साथ रहना हमारे लोगों के लिए मौत समान है.एक अलग एडमिनिस्ट्रेशन की मांग
आदिवासी समुदाय के खिलाफ बढ़ा नफरत.
इंफाल में बीजेपी विधायक पर हुआ था हमला
पूजा स्थलों, घरों और संपत्तियों को नष्ट किया गया
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / ब्यूरो रिपोर्ट
मणिपुर :- में हिंसा के बाद हालात पहले से ठीक है. भारतीय सेना ने यहां निगरानी के लिए यूएवी और हेलिकॉप्टर की तैनाती की है. इस बीच कुकि समुदाय ने सरकार के सामने बड़ी मांग रखी है. उन्होंने एक अलग एडमिनिस्ट्रेशन की मांग की. इस समुदाय से मणिपुर विधानसभा में 10 विधायक हैं. बीरेन सिंह सरकार में समुदाय के दो मंत्री भी हैं.
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विधायकों का आरोप है चिन-कुकि-जोमी आदिवासियों को सरकार सुरक्षा देने में विफल रही. मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा शुरू हो गई थी. कई दिनों तक मणिपुर का कई इलाका जलता रहा. मैतेई और कुकि समुदाय के बीच हुई हिंसा में 70 से ज्यादा लोग मारे गए. विधायकों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि झड़प के बाद मैतेई के साथ रहना हमारे लोगों के लिए मौत समान है.
इंफाल में बीजेपी विधायक पर हुआ था हमला
अलग एडमिनिस्ट्रेशन की मांग रखने वाले विधायकों में 8 बीजेपी के और दो कुकि पिपुल्स अलायंस के हैं – जो राज्य में बीजेपी के साथ गठबंधन में है. वंजागिन वाल्टे की गाड़ी में 4 मई को इंफाल में हमला हुआ था, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए थे. उन्हें इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाना पड़ा.
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कुकि समुदाय के 8 विधायक, सहयोगी दल के दो
विधायकों के समूह में बीजेपी सरकार में मंत्री लेटपाओ हाओकिप और नेमचा किपजेन भी शामिल हैं. अलग एडमिनिस्ट्रेशन की मांग रखने वालों में बीजेपी के हाओखोलेट किपजेन, एलएम खौटे, न्गुर्संगलूर सनाटे, लेत्ज़मांग हाओकिप और पाओलीनलाल हाओकिप भी शामिल हैं. वहीं कुकि पिपुल्स अलायंस के किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग और चिनलुनथांग हाओकिप भी संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किया है.
आदिवासी समुदाय के खिलाफ बढ़ा नफरत
मणिपुर विधानसभा में 60 सीटें हैं. कुकि समुदाय के विधायक कुल संख्याबल का छठा हिस्सा है. राज्य का 90 फीसदी हिस्सा पहाड़ी है और यहां विधानसभा की 20 सीटें हैं. हिंसा पर कुकि विधायकों ने कहा कि हमारे लोग अब मणिपुर के तहत नहीं रह सकते. हमारे आदिवासी समुदाय के खिलाफ नफरत बढ़ गई है.
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बीजेपी और सहयोगी दल के विधायकों ने आरोप लगाया कि विधायकों, मंत्रियों, पादरियों, पुलिस और सिविल अधिकारियों, आम लोगों, महिलाओं और यहां तक कि बच्चों को भी नहीं बख्शा गया. पूजा स्थलों, घरों और संपत्तियों को नष्ट किया गया. इनके बीच हमारा फिर से रहना हमारे लोगों के लिए मौत के समान है.
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