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    आइये जानते है की हमारे जीवन में रुद्राभिषेक का क्या महत्व है और इसका क्या लाभ है ?

    आइये जानते है की हमारे जीवन में रुद्राभिषेक का क्या महत्व है और इसका क्या लाभ है ?





    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / पंडित अरविन्द झा 

    नई दिल्ली :- रुद्राभिषेक शिव पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो शिव भक्तों के द्वारा अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। इस पूजा का महत्वपूर्ण कारण यह है कि इसके माध्यम से शिव भक्तों को शिव के आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है। यह पूजा शिव के गुणों, महत्वपूर्णता और ऊँचाईयों को दर्शाने का एक श्रेष्ठ तरीका है। शिव पूजा के माध्यम से भक्तों का मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास होता है।


    रुद्राभिषेक शिव पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो शिव भक्तों के द्वारा अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। इस पूजा का महत्वपूर्ण कारण यह है कि इसके माध्यम से शिव भक्तों को शिव के आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है। यह पूजा शिव के गुणों, महत्वपूर्णता और ऊँचाईयों को दर्शाने का एक श्रेष्ठ तरीका है। शिव पूजा के माध्यम से भक्तों का मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास होता है।


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    रुद्राभिषेक का लाभ 

    “रुद्राभिषेक” करने से शिव भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह पूजा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तौर पर व्यक्ति को शक्ति, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करती है। “रुद्राभिषेक” करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस पूजा को करने से व्यक्ति में सामर्थ्य, शक्ति और सुरक्षा की भावना जाग्रत होती है।


    रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है?

    शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को उनका रूद्र रुप सबसे प्रिय होता है | “रुद्राभिषेक” का आयोजन करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है | “रुद्राभिषेक” करने से भगवान शिवा अत्यंत प्रसन्न होते है,और वे इस रुप में आपको मनचाहा वरदान देते  है | 



    रुद्राभिषेक विधि 

    सबसे पहले पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें और उस समय तैयार हो जाएं।यह भी समरण रहे की पूजा स्थान को साफ-सुथरा और ध्यानयोग्य बनाएं। पूजा की शुरुआत करने के लिए पहले गणेश जी की पूजा करें | फिर शिवलिंग को एक पात्र में स्थापित करें तथा साथ में “ॐ नम शिवाय मंत्र”  का उच्चारण करे । तत्पश्चात शिवलिंग को जल से स्नान कराएं और उसे शुद्ध पानी से धोएं।बाद में शिवलिंग को धूप, दीपक, गंध और अच्छंबित से सजाएं। फिर अपने हाथों में रुद्राभिषेक पूजन सामग्री लेकर शिवलिंग की पूजा करें। मन्त्रों के उच्चारण के साथ  साथ शिवलिंग को जल से अभिषेक करें। पूजा समाप्त करने के बाद आरती करें और उन्हें प्रणाम करें।अंत में प्रसाद बांटें और पूजा स्थान को साफ करें।



    रुद्राभिषेक मंत्र 

    शिवलिंग का जलाभिषेक करते समय हमें निम्न मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए :- 

    ‘श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।’ 


    गाय के दूध से रुद्राभिषेक कैसे करे 

    कहते है की गाय भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है अगर आप शाम के समय अगर भगवान शिव को गाय का तजा दूध द्वारा अभिषेक करते है तो भोले बाबा जल्दी प्रश्न होते है और वो आपकी मनोकामना जल्दी पूर्ण करेंगे | 


    गाय के दूध से रुद्राभिषेक करते समय हमें निम्न मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए |


    “ॐ श्री कामधेनवे नम:” 

    “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का उच्चारण करते हुए लाल फूलों की कुछ पंखुडियां शिवलिंग को अर्पित करें।

    साथ ही गाय के दूध की पतली धार बनाते हुए – “ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम:” मंत्र का जाप करते रहें।

    निष्कर्ष 

    इस वर्ष सावन(श्रावण) महीना 59 दिन का है ,और इसमें कुल 8 सोमवार है , यदि आप सोमवार के दिन “ रुद्राभिषेक” के आयोजन करवाते है तो आपकी मनोकामना पूर्ण होने से कोई नहीं रोक सकता | 


    पंडित के माध्यम से आप “ रुद्राभिषेक” हेतु आसानी से पंडित बुक कर सकते है  | 99पंडित पर पंडित बुक करने पर पंडित जी द्वारा आपको इस श्रावण मास पर विशेष छूट भी दी जा सकती है | ये ऑफर पंडित द्वारा सिमित समय के लिए है , अत : बिना किसी देरी के आप अपना पंडित बुक करवायें | 


    इस ब्लॉग के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको रुद्राभिषेक पूजन सामग्री के बारे में सही जानकारी देना था |


    अब आप किसी भी वैदिक अनुष्ठान हेतु सामग्री की व्यवस्था हेतु 99पंडित की अधिकारित प्लेटफार्म पर दी गयी जानकारी के अनुसार  कर सकते हो | इसके अतिरिक्त श्रीमद भागवत महापुराण सामग्री, अखंड रामायण पाठ, सूंदरकांड पूजन सामग्री,  की जानकारी व इनके आयोजन हेतु ऑनलाइन पंडित बुक कर सकते है |     

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

    .पंडित के अनुसार कृष्ण पक्ष सप्तमी, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी व पूर्णिमा तिथि को हमें  रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए क्यों की वैदिक शास्त्रों और रुद्रसहिता की मानें तो इस  दिन  भगवन शिव का स्थान निश्चित नहीं होता और  वे समाधी में रहते है, और समाधी से जगाने का परिणाम कामदेव भुगत चुके है, अत : इसके दुष्परिणाम हो सकते है  | अगर आप किसी विशेष मनोंकामना पूर्ति है तो इन दिनों इसका आयोजन नहीं करना चाहिये |


    रूद्र सहिंता की माने तो अगर किसी भी प्राणी के जीवन में मंगल का दोष है ,और विवाह मार्ग में बाधा उत्पन्न हो रही है, तो मंगलवार के दिन रुद्राभिषेक का आयोजन आपके लिए अच्छा व शुभ माना जाता है |


    शिवलिंग पर शाम के समय कभी भी शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए क्यों की शाम के समय जल अर्पित करने से आपके द्वारा की जाने वाली पूजा का फल आपको नहीं मिल पाता | 


    उत्तर-शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का मतलब यह होता है कि जब ऊपर दूध डाला जाता है, तो उन्हें मूर्ति को औषधीय गुण प्राप्त होंगे और मूर्ति को ब्रह्मांड से प्राप्त होने वाली सकारात्मक कंपन भी प्राप्त होंगे । इसलिए कहा  जाता है की  हिंदू संस्कृति में जो कुछ भी भगवान को अर्पित किया जाता है वह कभी बर्बाद नहीं होता है |





    रुद्राभिषेक पूजन सामग्री लिस्ट

    रुद्राभिषेक पूजा के लिए आपको निम्नलिखित वस्तुओं की जरुरत होगी – 

        शुद्ध जल 

        गाय का घी 

        पान, सुपारी 

        नारियल 

        गन्ने का रस 

        अनार का रस 

        दूध 

        दही 

        शहद 

        गुलाबजल 

        कपूर 

        श्रृंगी 

        बिल्वपत्र 

        मेवा 

        मिठाई 

        दीपक, बत्ती 

        अगरबत्ती, धुप 

        मौली 

        भांग, धतूरा 







    संपूर्ण  विधि

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    रुद्राभिषेक का महत्व 

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    रुद्राभिषेक शिव पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो शिव भक्तों के द्वारा अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। इस पूजा का महत्वपूर्ण कारण यह है कि इसके माध्यम से शिव भक्तों को शिव के आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है। यह पूजा शिव के गुणों, महत्वपूर्णता और ऊँचाईयों को दर्शाने का एक श्रेष्ठ तरीका है। शिव पूजा के माध्यम से भक्तों का मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास होता है।


    रुद्राभिषेक का महत्व 


    रुद्राभिषेक पूजा की तैयारी कैसे करें 


      यदि रुद्राभिषेक पूजा मंदिर में कर रहे है तो आपको जहाँ शिवलिंग है वहीँ पर पूजा करनी है | यदि आप घर में रुद्राभिषेक करना चाह रहे है तो फिर आपको उत्तर दिशा में शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए और पूर्वाभिमुख होकर पूजा करनी चाहिए | 

        शिवलिंग के साथ ही गणेश जी, अन्य देवता एवं नवग्रह के पूजन के लिए भी पूर्व की दिशा में एक चौकी पर सभी को स्थान देना चाहिए | 

        रुद्राभिषेक के दिन सभी परिवारजन को स्नान ध्यान कर पूजा के लिए सही समय पर पहुंचना चाहिए | 

        घर को आशा पाला के पत्तों एवं फूलमालाओं से सुसज्जित करना चाहिए |  

        रुद्राभिषेक शुरू होने से पहले ही पूजन सामग्री एवं अन्य तरह की तैयारी कर लेनी चाहिए | 

        रुद्राभिषेक पूजन में बहुत से मंत्रो का उच्चारण होता है इसलिए इसके लिए अनुभवी पंडित द्वारा यह पूजा करवानी चाहिए| 


    रुद्राभिषेक पूजा की तैयारी कैसे करें

        रुद्राभिषेक पूजा में शिवलिंग पर जलाभिषेक शुरू करने से पहले भगवान गणेश जी का पूजन करें | भगवान गणेश को तिलक, चावल, फूल, नैवेद्य, दूर्वा और दक्षिणा अर्पित करें | 

        अन्य आह्वान किये गए देवताओं और नवग्रह की पूजा करें | 

        अब भगवान शंकर की पूजा करें | उन्हें तिलक आदि लगाएं | 

        बिल्वपत्र पर चन्दन से ॐ बनाकर भगवान शिव को अर्पित करें | 

        अब सभी परिवारजन खड़े होकर आरती करें | 


    रुद्राभिषेक पूजन विधि 

    भगवान शिव की पूजा और आराधना करने के लिए रुद्राभिषेक को सबसे फलदायी माना गया है | रुद्राभिषेक पूजन के द्वारा भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है | आपको रुद्राभिषेक की पूजा किस तरह करनी है आइये जानते है – 


     भगवान के रुद्राभिषेक के लिए शुद्ध जल में गंगाजल, भांग, दूध, गन्ने का रस आदि मिला लें | 

        रुद्राभिषेक के दौरान आचार्य रुद्री का पाठ करते है | 

        अब आप श्रृंगी के द्वारा धीरे शिवलिंग पर जल चढ़ाएं | 

        जल चढाने के दौरान आप रुद्रास्टाध्यायी का पाठ करें या फिर ॐ नमः शिवायः का जाप करें | 

        रुद्राभिषेक पूरा होने के बाद सभी एकत्रित भक्तजन भगवान शिव की आरती गायें | 

        रुद्राभिषेक के जल को पुरे घर में छिड़कें | 

        भगवान शिव को शुद्धता से घर में बनाएं व्यंजनों का भोग लगाएं | 


    रुद्राभिषेक मन्त्र 

    ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च

    मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

    ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति

    ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥

    तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।

    तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः

    सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥

    वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो

    रुद्राय नमः कालाय नम:

    कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः

    बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः

    सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥

    सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।

    भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः ॥

    नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।

    भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥

    यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।

    निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥

    त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम्

    उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥

    सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ।

    पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥

    विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् ।

    सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥

    लघु रुद्राभिषेक मंत्र 


    रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं ।

    सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो रूद्र उच्च्यते ।।

    एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः ।

    एकदशभिरेता भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।

    रुद्राभिषेक मन्त्र का प्रभाव 


        इच्छित मनोकामना पूर्ण हो इसके लिए दूध के द्वारा रुद्राभिषेक मन्त्र का पाठ करें | 

        धनप्राप्ति और सभी तरह के कर्जो से मुक्ति पाने के लिए फलों के रस से रुद्राभिषेक करे | 

        घर की सभी तरह की बाधाओं को दूर करने के लिए सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करें | 

        यदि आप कोई नया कार्य शुरू कर रहे है तो शुद्ध जल में चने की दाल मिलाकर रुद्राभिषेक करें | 

        काले तिल के द्वारा रुद्राभिषेक करने से बुरी नजर व तंत्र से बचाव होता है | 

        शुद्ध जल में घी व शहद मिलाकर रुद्राभिषेक करने से रोग दोष दूर होते है और स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है | 

        संतान प्राप्ति के लिए शहद से रुद्रभिषेक करना चाहिए | 


    रुद्राभिषेक पूजा के फायदे 

     रुद्राभिषेक पूजा से घर से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सकारात्मक वातावरण बनता है | 

        रुद्राभिषेक करने से इस जन्म के साथ पिछले जन्म के भी पातक पाप नष्ट हो जाते है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है | 

        भगवान रूद्र में सभी देवताओं का वास होता है  इसलिए जब हम रुद्राभिषेक करते है तो सभी देवता प्रसन्न होते है | 

        किसी व्यक्ति के यदि कालसर्प योग लगा हो तो उसे शिव रुद्राभिषेक करना चाहिए इससे कालसर्प योग का प्रभाव दूर होता है | 

        यदि श्रावण के महीने में रुद्राभिषेक करते है तो यह अति फलदायी होता है | 


    रुद्राभिषेक पूजन सामग्री लिस्ट निम्न प्रकार है

    सामग्री मात्रा

    रोली 50 ग्राम

    हल्दी 50 ग्राम

    कलावा (मौली) 5 पैकेट

    सिंदूर 1 पैकेट

    लौंग एवं इलायची 1 + 1 पैकेट

    सुपारी 11 नग

    अबीर 1 पैकेट

    गुलाल 1 पैकेट

    अभ्रक 50 ग्राम

    लाल चन्दन बुरादा 50 ग्राम

    श्वेत चन्दन 50 ग्राम

    अष्टगंध चन्दन 50 ग्राम

    महाराजा चन्दन 1 पैकेट

    कुमकुम पीला 1 पैकेट

    शहद 1 शीशी

    इत्र 1 शीशी

    चमेली का तेल 1 शीशी

    गंगाजल बड़ी बोतल 1 शीशी

    गुलाबजल बड़ी 1 शीशी

    केवड़ा जल 1 शीशी

    कमल बीज 50 ग्राम

    सप्तधान्य 50 ग्राम

    काला तिल 50 ग्राम

    जौ 50 ग्राम

    गुर्च 50 ग्राम

    लाल कपडा 1 मीटर

    पीला कपडा सूती 1 मीटर

    श्वेत कपडा 1 मीटर

    पिली सरसो 1 पैकेट

    जनेऊ 8 नग

    धूपबत्ती 2 पैकेट

    भस्म 1 पैकेट

    शमीपत्र 1 पैकेट

    रूईबत्ती 1 पैकेट

    घी 250 ग्राम

    कपूर 50 ग्राम

    भांगगोला 1 नग

    पानी नारियल स्नान हेतु 2 नग

    दोना बड़ा साइज 1 पैकेट

    दियाळी 15 नग

    पञ्चमेवा 200 नग

    चीनी 500 ग्राम

    चावल 250 ग्राम

    पार्वती जी के लिए साडी 1 नग

    शृंगार सामग्री 1 सेट

    चांदी अथवा सवर्णाभूषण निष्ठानुसार

    भोलेनाथ हेतु वस्त्र -धोती गमछा आदि

    चांदी का सिक्का (किसी देवता की आकृति विहीन)

    गन्ने का रस 1 + 1 लीटर

    कुम्हार की मिटटी गिली वाली 7 किलो

    पान के पते बड़े साइज 11 नग

    फल एवं मिठाई आवश्यकतानुसार

    गुलाब फूल 2 किलो

    सुरजमुखी श्वेत एवं पित पुष्प 1 किलो

    गेंदा के फूल 1 किलो

    चांदनी के फूल 1 किलो

    नवरग के फूल 1 किलो

    मदार के पुष्प 250 ग्राम

    धूतर पुष्प एवं फल

    तुलसी मंजरी

    कमल पुष्प 21 या 51 या 108 नग

    बेलपत्र 108 पीस

    हरी भांग 200 ग्राम

    रुद्राक्ष माला 1 नग

    फलो का जूस स्नान  हेतु 1 + 1

    दूर्वा हरी हरी अंकुरित

    फूलो की लड़ी (सजावट एवं शृंगार करना करने के लिए )

    दूध 5 अथवा 7 लीटर

    दही 1 किलो

    बड़ी (फूलसाइज)  की परांत एवं चौकी , वस्त्रादि – पंडित के अनुसार करे |

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