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    पूर्ण प्रजना स्कूल की 72% फीस वृद्धि: से अभिभावकों को कब मिलेगी राहत | सवाल इंडिया का

    पूर्ण प्रजना स्कूल की 72% फीस वृद्धि: से अभिभावकों को कब मिलेगी राहत | सवाल इंडिया का







    We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र  /दीपक कुमार 


    नई दिल्ली:- अभिभावक से उनकी सबसे बड़ी समस्या के बारे में पूछें तो वे बढ़े हुए स्कूल फीस बात जरूर करेंगे। पिछले कुछ सालों में देखा जाय स्कूल फीस में काफी बढ़ोतरी हुई है। शहर के नामी प्राइवेट स्कूलों की फीस लाखों रुपये तक है. नया सत्र शुरू होते ही एक बार फिर निजी स्कूलों ने मनमानी तरीके से फीस बढ़ा दी है। जिस वजह से अभिभावक को अपने बच्चों को पढ़ाने में काफी समस्या का सामना करना पर रहा है ऐसे में लोग कम फीस वाले स्कूल ढूंढने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.

    पूर्ण प्रजना स्कूल की 72% फीस वृद्धि: से अभिभावकों को कब मिलेगी राहत | सवाल इंडिया का





    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए शैक्षणिक सत्र के साथ ही दिल्ली के कई निजी स्कूलों में फीस बढ़ गई है और अभिभावकों पर महंगी किताबें, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी का बोझ भी पड़ रहा है. अभिभावकों की शिकायत है कि कई निजी स्कूल उन्हें अपने स्कूलों में बनी दुकानों या कुछ चुनिंदा दुकानों से ही किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिनकी कीमतें अन्य दुकानों की तुलना में कई गुना अधिक हैं। शहर के नामी प्राइवेट स्कूलों की फीस लाखों रुपये में है. ऐसे में लोग कम फीस वाले स्कूल ढूंढने की कोशिश करते हैं। ये स्कूल उन्हें नई कक्षा के लिए किताबों की सूची भी नहीं देते, किताबों का पूरा सेट लेने के लिए मजबूर करते हैं। दिल्ली शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूल अभिभावकों को किसी एक विक्रेता/दुकान से किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं, अगर वे ऐसा करते हैं तो स्कूलों का निरीक्षण किया जा सकता है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।


    पूर्ण प्रजना स्कूल की 72% फीस वृद्धि: से अभिभावकों को कब मिलेगी राहत | सवाल इंडिया का



    माता-पिता तनाव में
    दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है कि अप्रैल आते ही फीस बढ़ोतरी की शिकायतें भी बढ़ने लगी हैं। कई स्कूलों ने 15 फीसदी तक फीस बढ़ा दी है, कई का कहना है कि उन्हें शिक्षा निदेशालय ने अनुमति दे दी है, लेकिन विभाग का पत्र अभिभावकों को नहीं दिखाया जा रहा है. हम लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि निदेशालय अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी सार्वजनिक करे कि कब किस स्कूल को कितनी फीस बढ़ाने की इजाजत दी गई है।


    दक्षिण दिल्ली वसंत कुंज के एक प्राइवेट स्कूल पूर्ण प्रजना ने तो फ़ीस बढाने की तो हद ही पार कर दी एक साथ 72% फीस बढ़ा दी इस स्कुल में पढ़ने वाले बच्चे के माता-पिता का कहना है, मेरे बेटे की फीस 72% फीसदी बढ़ गई है. जिससे हमारे उपर काफी बोझ बढ़ गया है हम इतना पैसा कंहा से लायेंगे

    पूर्ण प्रजना स्कूल की 72% फीस वृद्धि: से अभिभावकों को कब मिलेगी राहत | सवाल इंडिया का




    पूर्ण प्रजना स्कूल की 72% फीस वृद्धि: से अभिभावकों को कब मिलेगी राहत | सवाल इंडिया का


    अभिभावकों में आक्रोश 
    पूर्ण प्रजना स्कूल में फीस बढ़ोतरी की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं. अभिभावकों का कहना है कि फीस बढ़ोतरी से उनकी जेबें खाली हो गई हैं। हाल ही में कई निजी स्कूलों का कहना है कि शिक्षा निदेशालय ने उन्हें फीस बढ़ाने की इजाजत दे दी है और कई स्कूलों की फीस 7 साल बाद बढ़ी है. अभिभावकों का कहना है कि हर कुछ साल में किसी न किसी कारण से फीस बढ़ा दी जाती है। वहीं शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता का कहना है कि पिछले दो-तीन सालों में कोविड-19 के कारण निजी स्कूल फीस नहीं बढ़ा पाए हैं और स्पीच टीचर्स के कुछ भत्ते भी बड़े हैं. कई स्कूल घाटे में चले गए थे, इसलिए शिक्षा निदेशालय ने ऑडिट के बाद फीस बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। कई स्कूलों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 2018-19 और 2022-23 के लिए ट्यूशन फीस बढ़ाने की इजाजत दे दी गई है.


    स्कूल की बढ़ती फीस पर वी न्यूज 24 ने एक गृहिणी से बात की, जिनके दो बच्चे पूर्ण प्रजना स्कूल में पढ़ते हैं। वह कहती हैं, "मेरे पति प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनकी सैलरी इतनी नहीं है कि इतनी ऊंची फीस भर सकें। अब तक हम किसी तरह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे थे, लेकिन अब उन्हें प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना थोड़ा मुश्किल हो गया है।" ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि फीस इतनी बढ़ा दी गई है कि यह हमारे बजट से बाहर जा रही है और कहीं न कहीं महंगी किताबें और यूनिफॉर्म भी हमसे नहीं खरीदी जा रही हैं क्योंकि स्कूलों ने हर चीज पर पैसा बढ़ा दिया है।' कहा गया कि यूनिफॉर्म और किताबें तुम्हें स्कूल से ही लेनी होंगी.''



    स्कूलों को महंगी किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता- शिक्षा मंत्री दिल्ली

    जब इस बारे दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी से बात किया तो उन्होंने कहा है कि अगर निजी स्कूल अभिभावकों को किसी विशेष दुकान विक्रेता या अपनी स्कुल से महंगी किताबें और स्कूल फॉर्म खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।रविवार को शिक्षा मंत्री ने कहा कि हर अभिभावक को नए सत्र से पहले किताबी यूनिफॉर्म के बारे में कुछ जानकारी पाने का पूरा अधिकार है. ताकि वह अपनी सुविधा के अनुसार इसकी व्यवस्था कर सके. आतिशी ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर अधिकारियों ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है.अभिभावकों की यह भी शिकायत है कि स्कूल उन पर किताबों का पूरा सेट खरीदने का दबाव बना रहे हैं। भले ही उन्हें उस सेट में केवल कुछ ही पुस्तकों की आवश्यकता हो। उनका यह भी कहना है कि स्कूल उन्हें किताबों की सूची भी नहीं दे रहे हैं. वे लोगों पर नोटबुक तक महंगे दामों पर खरीदने का दबाव बना रहे हैं, जबकि ऑनलाइन बाजार में ये किताबें और नोटबुक बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं।





    शिक्षा मंत्री का कहना है कि निजी स्कूल किताबों और स्कूल फॉर्म को लेकर शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी गाइडलाइंस का उल्लंघन कर रहे हैं. उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. शिक्षा विभाग को ऐसे स्कूलों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. पिछले कुछ दिनों से लगातार शिकायतें आ रही हैं. कुछ अभिभावकों ने शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई है. साथ ही कहा कि पिछले साल से गाइडलाइंस में छूट दी गई है कि बच्चे अपनी सुविधा के मुताबिक किताबें और यूनिफॉर्म किसी भी जगह से ले सकते हैं। उन्होंने 17 मार्च को जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। किसी भी स्थिति में दिल्ली शिक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। जो भी कार्रवाई की जा रही है, उसकी साप्ताहिक रिपोर्ट उनके समक्ष प्रस्तुत की जाए।

    शिकायत पर ऑडिट हो सकता है
    अगर किसी निजी स्कूल के छात्रों के अभिभावक स्कूल की बढ़ी हुई फीस या किसी अन्य शुल्क से परेशान हैं तो वे उस स्कूल का ऑडिट करा सकते हैं। इसके लिए दिल्ली सरकार की शुल्क विसंगति समिति शिकायत की जांच करेगी और 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। शिकायत करने वाले व्यक्ति को शुल्क विसंगति समिति के अध्यक्ष को एक पत्र प्रस्तुत करना होगा। 100 रुपये जमा कर अभिभावक व्यक्तिगत या समूह में शिकायत कर सकते हैं। जिले के उप शिक्षा निदेशक इस समिति के अध्यक्ष हैं. प्रत्येक जोन का शिक्षा अधिकारी तथा उसकी अनुपस्थिति में जोन का उप शिक्षा अधिकारी समिति का सदस्य होता है। इसके अलावा शिक्षा निदेशक द्वारा नामित एक चार्टर्ड अकाउंटेंट इसका सदस्य होगा.




    स्कूलों का कहना है कि यह मनमानी नहीं है, अनुमति दी गई है
    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल, दिल्ली के अध्यक्ष भरत अरोड़ा का कहना है कि ज्यादातर स्कूलों ने सही तरीके से फीस बढ़ाई है। साथ ही कई स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को शिक्षा निदेशालय ने ही मंजूरी दे दी है. यह मंजूरी भी 5% से लेकर 18% तक होती है. इसके तहत स्कूलों ने फीस बढ़ा दी है. अरोड़ा का कहना है, निजी स्कूलों को 31 मार्च से पहले फीस बढ़ाने की जानकारी देनी होगी। स्कूलों को इसे हर साल दाखिल करना होगा और शिक्षा निदेशक वित्तीय, लेखा और रिकॉर्ड की जांच करवाएंगे। स्कूलों का ऑडिट किया जाता है. इसके लिए स्कूलों को अनुमति नहीं लेनी होगी.

    शिक्षा निदेशालय के नियम
    स्कूल को कम से कम पांच दुकानों के पते और फोन नंबरों की एक सूची प्रदान करनी चाहिए जहां से माता-पिता किताबें, कॉफी, वर्दी खरीद सकते हैं।

    माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार किसी अन्य दुकान से यह सब खरीद सकते हैं। स्कूल छात्रों को किसी विशेष स्टोर से खरीदारी करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। स्कूल को अपनी वेबसाइट पर हर कक्षा के लिए किताबों और स्टेशनरी की सूची उपलब्ध करानी चाहिए। वर्दी के संबंध में भी विवरण दिया जाए। स्कूल यूनिफॉर्म का कलर डिजाइन 3 साल तक नहीं बदल सकता। अगर स्कूल इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उनके खिलाफ दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम 1973 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
    स्कूल का निरीक्षण और जांच हो सकती है, मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान है.


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