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    सीतामढ़ी:राजनीति जनहित का विषय ना होकर स्वहित का विषय बन चुका है,माधव चौधरी


    WAORS /हिंदी न्यूज़ बिहार/सीतामढ़ी
    कैमरामैन/पवन साह/रिपोर्टर/संजू गुप्ता  
    सीतामढ़ी:फ्रेंड्स ऑफ माधव और विश्व मानव जागरण मंच के बैनर तले मतदाता जागरूकता पंचायत संपर्क सभा मुरौआल बाजार,बाजपट्टी प्रखंड,सीतामढ़ी में प्रिंस कुमार कुशवाहा की अध्यक्षता में और किशोर राय के संचालन में संपन्न हुआ। विश्व मानव जागरण मंच(संस्थापक:-अमित चौधरी उर्फ माधव चौधरी)के विचारों को आगे बढ़ाते हुए आर्थिक आजादी और राजनीतिक आजादी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है,

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    राजनीति जनहित का विषय ना होकर स्वहित का विषय बन चुका है
    विषय पर परिचर्चा किया गया और इसे हम हर हाल में  हासिल करेंगे ,इसी आह्वान के साथ सभा की शुरुआत की गई। वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा आज राजनीति जनहित का विषय ना होकर स्वहित का विषय बन चुका है। समाजसेवी पिंटू चौधरी ने अपने अभिभाषण में कहा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के द्वारा  दिया गया समतामूलक समाज का नारा जहां की सब लोगों का एक समान आर्थिक और सामाजिक अधिकार हो लेकिन आजादी के बाद से आजतक हमे इन पार्टियों के द्वारा सत्ता परिवर्तन के नाम पर हमारे दलितों, पिछड़ों और शोषित भाइयों को दलित से महादलित पिछड़ा से  अतिपिछड़ा बना दिया गया।

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    सबसे ज्यादा शोषित कोई वर्ग है तो वह दलित और पिछड़ा वर्ग है

    आरक्षण की व्यवस्था इस शोषित वर्ग को समाज के मुख्यधारा में समान अधिकार और सम्मान के साथ उत्थान करने की थी लेकिन इसका राजनीतिक इस्तेमाल करके आजादी से आज तक  में सबसे ज्यादा शोषित कोई वर्ग है तो वह दलित और पिछड़ा वर्ग है, कभी धर्म के नाम पर कभी जात के नाम पर कभी सम्प्रदाय के नाम पर अलग अलग झंडे के तले शोषित किया है। अभिराम पांडेय ने अपने संबोधन में कहा समाज की जो दो मूल समस्याएं हैं गरीबी और भ्रष्टाचार इन से लड़ने का सही और सीधा रास्ता है राजनीतिक आजादी को पाना मतलब जनता मालिक खुद चुनेगी खुद चुनेगी और आर्थिक आजादी मतलब मूल मुनाफा तीसरा हिस्सा मजदूर का इस समाधान के साथ गरीबी और भ्रष्टाचार से छुटकारा पाया जा सकता है।

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    आर्थिक रुप से आजाद हो 
    शिक्षा व्यवस्था की बात की जाए आजादी से अब तक  शिक्षा के नाम पर जो इन्होंने हमें थमाया है वह है हमारे बच्चों के बैग में थाली और कटोरा,किताब और पेंसिल की जगह पर इसका एक उद्देश्य है कि हमारे बच्चे शिक्षा ना हासिल कर सके और अपने अधिकार के लिए ना लड़ सके।सिर्फ सत्ता परिवर्तन होते आ रहा है हमारे बीच जरूरत है आज व्यवस्था परिवर्तन की उस व्यवस्था में हमारे अधिकारों के अनुरूप नीति निर्धारण  हो जो कि उनका संरक्षण कर सके हमारे समाज की समस्याओं का समाधान कर सके, यह कार्य तभी संभव है जब हम राजनीतिक रूप से आजाद हो पार्टी तंत्र से निकल अपना जनप्रतिनिधि अपने बीच से जो हमारी समस्याओं का समाधान करता आया हो ऐसे जनप्रतिनिधि को चुन, चुनावी प्रक्रिया की जो इकाइयां है राज्य स्तर पर विधानसभा में और देश स्तर पर लोकसभा में जो कि अभी तक पार्टी समर्थित है ,उनका बहिष्कार कर वहां अपना प्रतिनिधि भेजें। किसी भी संस्थान में मूल मुनाफे में तीसरा हिस्सा उस संस्थान में काम कर रहे मजदूर का हो जिससे कि वह आर्थिक रुप से आजाद हो अपने अधिकारों को समझें और संपूर्ण विकास करें, अमीर अमीर रहे और समाज में कोई गरीब ना रहे।इस व्यवस्था से पैसा पुनः बाजार में आएगा और अर्थव्यवस्था अपने चरम पर पहुंचेगी और पूरी दुनिया में जो धन का संचय कुछ मुठी भर लोग और पूंजीपतियों के बीच है ,वो सब वर्ग के लोगों के बीच तीसरे हिस्से के रूप में बट जाएगा।किसानों को कुशल श्रमिक का दर्जा दिया जाए और उनके लागत मूल्य के दुगुना उनको उनके फसल का समर्थन मूल्य दिया जाए। इन्हीं मुद्दों पर गांव के प्रबुद्ध और बुद्धिजीवी लोगों ने अपने विचार रखें ,कौशल चतुर्वेदी, बीरेंदर बैठा,चंद्रदेव मंडल,समाजसेवी,अभिराम पांडेय,गोपाल झा,मुस्तफा,धीरेंद्र कुंवर,साबिर अंसारी,सुनील चौधरी, संजय पासवान,प्रभास चौधरी,खैतउन निशा,महिला प्रकोष्ठ प्रखंड अध्यक्ष,पूर्व अध्यक्ष जिला मुखिया संघ ,फ्रेंड्स ऑफ माधव के सभी  साथी,पत्रकार बंधु पंचायत के सभी जनता का बहुत आभार।

    Posted By:दीपक कुमार  व्याहुत

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