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    Happy Bihu-2019 असम में बिहू पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है , इसके लिए घरों को रंगोली से सजाया

    WAORS हिंदी न्यूज डेस्क »नई दिल्ली 
    ब्यूरो चीफ दीपक कुमार 

    नई दिल्‍ली: वी न्यूज 24- असम सिर्फ एक प्रदेश का नाम नहीं, प्राकृतिक सौंदर्य, प्रेम, विभिन्न संस्कृतियों इत्यादि की झलक का प्रतीक है। असम की ढेर सारी संस्कृतियों में से 'बिहू' एक ऐसी परंपरा है, जो यहां का गौरव है। 

    किसान फसल को पहली बार अपने घर लाते हैं

    और बिहू पर्व हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जा रहा है। असम के लोगों ने ईष्‍ट देव शबराई को घर में आमंत्रित किया है, इसके लिए घरों को रंगोली से सजाया गया है। इस दिन किसान फसल को पहली बार अपने घर लाते हैं। ईश्‍वर से सुख समृद्धि पाने के लिए इस त्‍योहार को असम के लोग प्रमुख पर्व के तौर पर देखते हैं। इस दिन मिठाईयां देकर दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों को बधाई दी जाती है और लोकगीतों पर लोकनृत्‍य की परंपरा निभाई जाती है।



    साल भर में तीन बार मनाया जाता है
    असम में यह त्‍योहार साल भर में तीन बार मनाया जाता है। असम में माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू अर्थात भोगाली बिहू,बैसाख बिहू- असमिया कैलेंडर बैसाख महीने से शुरू होता है, जो अंग्रेजी माह के अप्रैल महीने के मध्य में शुरू होता है और यह बिहू 7 दिन तक अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। काति बिहू/कंगाली बिहू- धान असम की प्रधान फसल है इसलिए धान लगाने के बाद जब धान की फसल में अन्न लगना शुरू होता है उस समय नए तरह के कीड़े धान की फसल को नष्ट कर देते हैं। इससे बचाने के लिए कार्तिक महीने की संक्रांति के दिन में शुरू होता है काति बिहू। 

     सर्वश्रेष्‍ठ देता शबराई को अर्पित करते हैं

    दरअसल, मान्‍यता है कि इस दिन किसान अपने खेत से फसल को काटकर घर लाता है। घर अनाज से भरा होता है। ऐसे में लोग अपने ईष्‍ट देवता को ऐसे ही कृपा बनाए रखने के लिए प्रार्थना करते हैं। पहले मौसम की पहली फसल को असम के लोग सर्वश्रेष्‍ठ देता शबराई को अर्पित करते हैं। जानकारों के मुताबिक बिहू शब्द दिमासा लोगों की भाषा से लिया गया है जो की प्राचीन काल से एक कृषि समुदाय है।

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    पीठा मिठाई और तिल के लड्डू बनाने की परंपरा
    इस पर्व पर रंग बिरंगे कपड़े पहनते हैं और घरों को रंगोली से खूब सजाते हैं। इस मौके पर लोग दोस्‍तों रिश्‍तेदारों को शुभकामनाएं देते हैं। इस अवसर पर खास मिठाई पीठा बनाई जाती है। इसके अलावा तिल के लड्डू और नारियल के लड्डू भी बनाने की परंपरा है।



    ईष्‍ट देव शबराई की पूजा का पर्व 
    असम के लोग इस दिन अपने ईष्‍ट देव शबराई का पूजन कर सुख समृद्धि का वरदान मांगते हैं। उन्‍हें तिल के लड्डू अर्पित किए जाते हैं। इसके अलावा किसान अपने जानवरों को भी पूजते हैं और उन्‍हें घर का भोजन खिलाते हैं।

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    प्रियजनों को गमछा भेंट करना शुभ
    बिहु के त्योहार में लोग अपने प्रियजनों को फूल और गमछा भी भेंट करते हैं। नव युवक एक महीने पहले से ही ढोल, पेपा, गगना कि तैयारी करते हैं और नव युवतियां उनकी ताल और सुर पर थिरकती हुई बिहू नृत्य करती हैं।  

    प्रिया ओझा द्वारा पोस्ट किया गया 

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