अयोध्या :के नाम में अकार, यकार और धकार है इसे ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वाचक माना जाता है। इनके किले, टीले और सरोवर की वर्णन पुराणों में दर्ज हैं, यहां के प्रतापी राजा पूजित हुए थे । सन 1528 यानि पांच सदी से चली आ रही विवाद का फैसला आ चुका है |
तो लोगो के मन में ये भी जानने की उत्सुकता होगी की जिस अयोध्या में रामजन्म भूमि पर कैसा मंदिर बनेगा वह कैसा होगा। हम आपको मन में उठ रहे इन सभी सवालों का जवाब दे रहे है तो आइये जानते है कैसा भव्य मंदिर बनेगा अयोध्या में
जिस राममंदिर का स्वप्न देखा गया है, वह दो मंजिल का होगा। प्रथम मंजिल की ऊंचाई 18 फीट एवं दूसरी मंजिल की ऊंचाई 15 फीट नौ इंच होगी। बीते 28 वर्षों से राजस्थान, गुजरात, मिर्जापुर व देश के अन्य हिस्सों से आए कारीगर कार्यशाला में करीब एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा कर चुके हैं।
विहिप के प्रस्तावित मंदिर मॉडल के भूतल के पत्थरों की तराशी का कार्य हो चुका है। रामजन्मभूमि के पार्श्व में प्रवाहित उत्तरावाहिनी मां सरयू, आग्नेय कोण पर विराजमान हनुमानजी, अयोध्यावासी और श्रद्धावनत साधक अब जल्द अपने रामलला को ऐसे भव्य भवन में विराजमान होते देखेंगे,
रामजन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने के लिए विहिप ने जो नक्शा बनाया है, उसके अनुसार प्रस्तावित मंदिर 268 फीट लंबा है।
मंदिर की चौड़ाई
प्रस्तावित राममंदिर की चौड़ाई करीब 140 फीट है।
मंदिर की ऊंचाई
जन्मभूमि पर बनने वाले राममंदिर की ऊंचाई 128 फीट है।
8 फीट ऊंची पीठिका : मंदिर की प्रथम पीठिका (चबूतरा) आठ फीट ऊंची होगी। इन तक प्रशस्त सीढ़ियों से पहुंचा जा सकेगा। इसी पीठिका पर मंदिर का 10 फीट चौड़ा परिक्रमा मार्ग होगा। चार फीट नौ इंच ऊंची एक आधार पीठिका पर मंदिर का निर्माण होना है। होंगे पांच प्रखंड : अग्रभाग, सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंगमंडप और गर्भगृह के रूप में मंदिर के मुख्यतया पांच प्रखंड होंगे।
मंदिर में 212 स्तंभ लगेंगे
मंदिर में 212 स्तंभ लगेंगे। प्रथम मंजिल में 106 एवं इतने ही दूसरी मंजिल पर लगेंगे। प्रथम मंजिल पर लगने वाले स्तंभों की ऊंचाई 16 फीट छह इंच एवं दूसरी मंजिल पर लगने वाले स्तंभों की ऊंचाई 14 फीट छह इंच होगी।
हर स्तंभ पर यक्ष-यक्षिणियां मूर्ति होगी
प्रत्येक स्तंभ पर यक्ष-यक्षिणियों की 16 मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां उत्कीर्ण होंगी। इनका व्यास चार से पांच फीट तक रहेगा।
गर्भगृह
मंदिर के जिस कक्ष में रामलला विराजेंगे, उस गर्भगृह से ठीक ऊपर 16 फीट तीन इंच का विशेष प्रकोष्ठ होगा। इसी प्रकोष्ठ पर 65 फीट तीन इंच ऊंचा शिखर निर्मित होगा।
मंदिर में इस्तेमाल होगा इतना पत्थर
प्रस्तावित मंदिर में एक लाख 75 हजार घन फीट लाल बलुआ पत्थर प्रयुक्त होगा।
यदि तैयारियों पर गौर करें निर्धारित स्थल पर प्रथम तल के तराशे गए पत्थरों को शिफ्ट करने में अधिक से अधिक छह माह का समय लगेगा। इसके बाद दो से ढाई वर्ष में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। पत्थरों को ईंट-गारा की बजाय कॉपर और सफेद सीमेंट से जोड़ा जाएगा। प्रथम तल के पत्थरों की शिफ्टिंग के साथ ही गर्भगृह भी आकार लेगा, जहां रामलला की प्रतिष्ठा होगी।
वर्ष 1990 में बनी कार्यशाला
विहिप की रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला की स्थापना वर्ष 1990 के सितंबर माह में की गई। कार्यशाला के लिए मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्रदास ने जमीन दान दी थी। कार्यशाला में ही प्रस्तावित मंदिर के मॉडल के साथ पूजित शिलाएं व तराशी गईं शिलाएं भी रखीं हैं।परमहंस के साथ मंदिर आंदोलन के अग्रदूत अशोक सिंहल, आचार्य गिरिराज किशोर, महंत नृत्यगोपाल दास, संघ विचारक मोरोपंत पिंगले आदि ने कार्यशाला की आधारशिला रखी थी।
28 वर्ष पूर्व बना अस्थाई मंदिर रामजन्मभूमि पर मौजूदा अस्थाई मंदिर की नींव वर्ष छह दिसंबर वर्ष 1992 को उस वक्त पड़ी थी, जब कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इससे पहले वर्ष 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल का ताला खोलने और एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया था। वर्ष 1986 में एक फरवरी को जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दे दी थी। इसके बाद विवादित इमारत का ताला दोबारा खोला गया। वर्ष 1992 में छह दिसंबर को कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा ढहा दिया। ढांचा ढहने के बाद वहां 80 फीट लंबा, 40 फीट चौड़ा व करीब 16 फीट ऊंचा अस्थाई मंदिर बनाया गया। वर्ष 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश जारी किया। तभी से लेकर
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