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    मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार ,मजदूर की जगह जेसीबी से हो रही है खुदाई




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    बिहारशरीफ से योगेश कुमार की रिपोर्ट 


    बिहारशरीफ : मनरेगा की योजना राशि में गड़बड़ी की शिकायत आम हो चुकी है। लेकिन जिले के हरनौत के गरभुचक गांव में रविवार को अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों ने इस योजना की पोल ही खोलकर रख दी। मजदूर की जगह जेसीबी से काम कराने का भंडाफोड़ हुआ। रात में जेसीबी तो दिन में मजदूरों से काम कराया जा रहा काम.यह भी पता चला कि रात में जेसीबी से काम कराया जाता है और दिन में मज़दूरों से।

     
    गांव के लोगों ने इसकी शिकायत शनिवार की रात में बीडीओ से की। रविवार की सुबह प्रखंड प्रमुख रेखा देवी, मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी शिव नारायण लाल, पंचायत रोजगार सेवक अनुराधा कुमारी व जेई कार्यस्थल पर पहुंचे।लोगों ने बताया कि उस वक्त मजदूर जेसीबी आने-जाने के निशान मिटाने में जुटे थे। बावजूद, कई स्थानों पर जेसीबी का निशान था।

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    पीओ ने यह कहकर मौन साध ली कि हमें जेसीबी का निशान पहचानने नहीं आता है।गांव के लोगों ने इसकी शिकायत बीडीओ से की थी.मामले को तुल पकड़ता देख डी एम योगेन्द्र सिंह को फोन किया गया।उन्होंने मामले की जांच के लिए कार्यस्थल पर मनरेगा के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय कुमार गुप्ता व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बिट्टू कुमार सिंह को भेजा।




    डीपीओ ने बताया कि मामले की अभी बारीकी जांच की जा रही है। लेकिन, प्रथम दृष्टि में यह साबित हो गया कि कार्यस्थल के पास जेसीबी गयी थी। जेसीबी जाने-आने का निशान स्पष्ट पहचान में आ रहा था।गरभूचक गांव के ब्रह्मदेव बिंद की पत्नी शांति देवी के नाम से तालाब खुदवाने की योजना मनरेगा से ली गयी है। तालाब निर्माण का खाका भी बना लिया गया।


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    63 हजार की लागत से तालाब बनवाने की अनुमति मनरेगा कार्यालय से दी गयी है। ताकि, आर्थिक संकट में मज़दूरों को गांव में काम दिया जा सके।मंगलवार की रात तालाब निर्माण में जेसीबी चला कर खुदाई की गयी। इसकी शिकायत रात में ही मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी, बीडीओ व जिला स्तरीय अधिकारियों से की गई।


    अधिकारियों को सूचना देने के बाद मामले में लीपापोती की जाने लगी। रविवार की सुबह जन प्रतिनिधियों व अधिकारयों ने तालाब निर्माण का जायजा लिया।उस समय जेसीबी का निशान मिटाने के लिए एक दर्जन से अधिक मजदूर कुदाल चला रहे थे। पीओ ने बताया कि अब मामले की जांच रिपोर्ट जिलास्तरीय अधिकारी देंगे।

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    फिलहाल काम रोक दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद जो निर्देश होगा उसका पालन किया जाएगा।प्रखंड प्रमुख रेखा देवी ने बताया कि जेसीबी से तालाब निर्माण कराने का मामला स्पष्ट है।जेसीबी का निशान मिटाने के लिए एक दर्जन मजदूरों को लगाया गया। ताकि, सच्चाई पर पर्दा डाला जा सके। जेसीबी का निशान मिटा रहे मजदूरों का जॉब कार्ड भी नहीं बनाया गया था।
    बगैर जॉब कार्डधारी मजदूर को इतना भी पता नहीं था कि काम करने के बदले हर दिन कितनी मजदूरी मिलेगी।

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    एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मनरेगा का कहना है की कार्यस्थल पर जेसीबी जाने का निशान पाया गया है। मामले की फिर से बारीकी जांच करायी जा रही है।योजना के सभी कागज़ात खंगाले जाएंगे। आखिर कार्यस्थल पर जेसीबी क्यों ले जायी गयी थी। जबकि, इस योजना में जेसीबी का कोई रोल नहीं है।ग्रामीणों की शिकायत  सही पायी गयी है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।


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