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    भारत में कोरोना के खिलाफ कॉकटेल ड्रग्स लॉन्च, आज से दिल्ली में होगा इस्तेमाल




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    We News 24 Hindi »नई दिल्ली 
    कविता चौधरी कि रिपोर्ट 


    नई दिल्ली : कोरोना के खिलाफ भारत में भी कॉकटेल ड्रग (मोनोक्लोनल एंटीबॉडी) का इस्तेमाल शुरू हो गया है। हरियाणा के 84 साल के मोहब्बत सिंह पहले मरीज हैं, जिन्हें यह दवा दी गई। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जब कोरोना हुआ था, तब उन्हें भी यह दवा दी गई थी। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, एक बनी बनाई इम्यूनिटी है, जो कोविड के नए संक्रमित मरीज के इलाज में 70 फीसदी तक कारगर है। ओपीडी बेस पर 30 मिनट में यह दवा दी जाती है और फिर मरीज को होम केयर में फॉलो किया जाता है। अमेरिका में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी स्टैंडर्ड ऑफ केयर में है। अब भारत में भी फॉर्मा कंपनी रॉश और सिप्ला ने कोरोनो के खिलाफ एंटीबॉडी कॉकटेल को लॉन्च किया है। कंपनी ने अनुसार, एंटीबॉडी कॉकटेल का पहला बैच मिलना शुरू हो गया है।

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    मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का पहली बार इस्तेमाल गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में हुआ है। अस्पताल की इंटरनल मेडिसिन विभाग की डायरेक्टर डॉक्टर सुशीला कटारिया ने बताया कि हम लोगों को यह इलाज ऑफर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के जो नए मरीज डायग्नोस हुए हैं, उनके लिए यह इलाज है। डॉक्टर सुशीला ने बताया कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, वायरस को न्यूट्रलाइज करने वाली एंटीबॉडी होती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो यह बनी बनाई इम्यूनिटी है, जिसे मरीज में डाल दिया जाता है और यह पहले दिन से ही काम करने लगती है। स्विट्जरलैंड की फॉर्मा कंपनी रॉश और सिप्ला ने एंटीबॉडी कॉकटेल को भारत में लॉन्च किया है। पहला बैच मिलना शुरू हो गया है। दूसरा बैच जून से उपलब्ध होगा। भारत सरकार ने भी इसके आपातकालीन उपयोग की अनुमति दे दी है। भारत में इस दवा के वितरण का काम सिप्ला करेगी। जानकारी के अनुसार, रॉश ने 10 हजार डोज केंद्र सरकार को डोनेट की हैं। यह दवा केंद्र सरकार राज्यों को बांट रही है। हरियाणा सरकार को 590 डोज मिली है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में इस दवा का इस्तेमाल दिल्ली के भी सभी बड़े अस्पतालों में होगा।

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    ऐसे तैयार होती है कॉकटेल ड्रग्स

    यह दो दवाओं का मिश्रण है, इसलिए इसे कॉकटेल ड्रग्स कहा जाता है। इसमें दो तरह की एंटीबॉडी 'कासिरिविमैब' और 'इमडेविमैब' का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वैरिएंट और म्यूटेशन के बाद भी यह काम करे। इसमें वायरस पर दो तरफ से हमला किया जाता है। इन दोनों दवाओं को 600-600 MG मिलाने पर कॉकटेल दवा तैयार होती है। यह वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता। इस तरह यह दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है। डॉक्टर सुशीला ने बताया कि जब कोई संक्रमित होता है, तो शरीर एंटीबॉडी बनाने में औसतन दो हफ्ते का समय लेता है। लेकिन यह दवा बनी बनाई इम्यूनिटी है। कॉकलेट ड्रग्स बॉडी में जाते ही काम करना शुरू कर देती है और संक्रमित मरीज की बीमारी और लक्षण को बाहर आने से रोकती है। यह एंटीबॉडी 3 से 4 हफ्ते तक चल जाती है। तब तक मरीज ठीक हो जाता है। इस दवा के सेवन से मरीज को इलाज के लिए एडमिट होने की नौबत कम आती है। इससे मौत को भी कम करने में मदद मिलती है।


    कोविड के नए मरीजों पर ज्यादा कारगर

    बीमार होने पर जितनी जल्दी कॉकटेल ड्रग का इस्तेमाल किया जाता है, उतना अच्छा रिजल्ट आता है। स्टडी में यह 70 फीसदी तक कारगर पाई गई है। डॉक्टर सुशीला ने बताया कि सिर्फ एक डोज में इससे इलाज संभव है। ओपीडी बेसिस पर मरीज को यह दवा दी जाती है। 30 मिनट लगता है कि इस दवा को देने में। उसके बाद मरीज को घर भेज दिया जाता है। मरीज का फॉलोअप किया जाता है। एक डोज की कीमत 59,750 रुपये तय की गई है।

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    बुजुर्ग और बच्चों को दी जा सकती है दवा

    डॉक्टर ने बताया कि 65 साल से ऊपर के मरीजों में इस दवा का इस्तेमाल किया जाएगा। बुजुर्ग जो पहले से बीमार हैं, डायबिटीज है। लिवर या किडनी की बीमारी है। कैंसर के मरीज हैं। स्टेरॉयड पर हैं। ऐसे लोगों को यह दवा दी जा सकती है। इसके अलावा 55 साल तक के बीमार लोग जो हार्ट या सांस के मरीज हैं, उन्हें भी यह दवा दी जा सकती है। इस दवा से माइल्ड और मॉडरेट लक्षण वालों के साथ हाई रिस्क वाले मरीजों का इलाज हो सकेगा। दवा का इस्तेमाल बच्चों पर भी किया जा सकता है। खासकर जो बच्चे एनीमिया आदि से पीड़ित हैं, उन्हें यह दवा दी जा सकती है। कंपनी ने अनुसार, यह दवा 12 साल या इससे अधिक उम्र और 40 किलो से अधिक वजन वाले कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज में इस्तेमाल हो सकेगी। 


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