Haunted places:दिल्ली की जमाली-कमाली में क़ैद है रहस्मयी कहानियाँ,जन्हा रात ढलते सजती है जिन्नों की महफिल
We News 24» रिपोर्टिंग / दीपक कुमार
नई दिल्ली : हॉरर फिल्में देखने का शौक कई लोगों को होता है जबकि कुछ लोग भूतिया कहानियों को बड़े चाव से सुनते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके आसपास ही कई ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में एक रहस्य हैं. इन जगहों पर जाना तो दूर लोग इनके बारे में बात करने से भी डरते हैं.
दिल्ली में कुतुब मीनार के पास मौजूद जमाली-कमली मस्जिद अपनी भूतिया कहानियों की वजह से काफी चर्चा में रहता है. लोगों का दावा है कि जमाली- कमली में जिन्न रहते हैं. यहां होने वाली घटनाओं के कारण लोग इस जगह पर जाने से डरते हैं.
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जमाली-कमाली मकबरे के बारे में कहा जाता है कि यहां जाने वालों को थप्पड़ पड़ते हैं। साथ ही यहां जानवरों की गुर्राहट, जोरदार झगड़े और महिलाओं की हंसी की आवाज भी सुनायी देती है। मुग़ल काल की इसकी प्रसिद्धी क़ुतुब मीनार से भी ज्यादा थी लेकिन अब इस जगह को लोग केवल एक भूतहा जगह के अलावा किसी और नाम से नहीं जानते है
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आइये इस जगह की भुतहा घटनाओ से पहले मस्जिद के इतिहास पर प्रकाश डालते है |
जमाली कमाली शब्द शेख हमीद बिन फजलुल्लाह उर्फ़ जमाल खान से लिया गया है जो कि अपनी कविताओ के लिए प्रसिद्ध एक सूफी संत थे | जमाल खान सिकंदर लोदी के शाषनकाल 1489 या 1517 में भारत आये थे और दिल्ली में ही बस गये | वैसे तो लोग उन्हें कई नामो से जानते थे लेकिन उनकी कविताओ ने उन्हें जमाली नाम से मशहूर कर दिया था |
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ऐसा माना जाता है कि सिकन्दर लोदी उनकी कविताओ के इतने कायल थे कि उनके शब्दों का इस्तेमाल करके वो खुद भी एक कवि बन गए थे | मुगलों के शाषनकाल में उन्हें बाबर के दरबार में जगह मिली जो हुमायु की मौत तक उस दरबार में रहे | ऐसा माना जाता कि हुमायु ने खुद जमाली की मौत के बाद उसका मकबरा बनवाया |
जमाल खान उर्फ़ जमाली के इतिहास से आपको रूबरू करवा दिया अब हम आपको कमाली के इतिहास के बारे में बताते है | वैसे तो कमाली का इतिहास रहस्यमयी है क्योंकि इतिहास में उसके बारे में कही नहीं लिख रहा है कि वो जमाली के शिष्य थे या दुसरे कवि थे या फिर एक नौकर थे | कोई भी उनका असली नाम नहीं जानता केवल कमाली ही लोगो की जुबान पर है |
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कमाली के बारे में बहुत सी कहानिया प्रचलित है जैसे कमाली की कहनियो का शश्रेय जमाली ले लिया करता थाI एक दुसरी कहानी में ये बताया जाता है कि जमाली और कमाली दोनों भाई थे और जमाली तो अपनी कविताओ से प्रसिद्ध हो गया लेकिन कमाली केवल सूफी संत बनकर रह गया | कुछ कहानियों में कमाली को एक औरत बताया गया है जो जमाली की पत्नी थे और कमाली की मौत के बाद जमाली ने उसका मकबरा बनवाया और हुमायु ने जमाली की मौत के बाद उसकी पत्नी के करीब ही उसका मकबरा बनवाया |
कुछ इतिहासकारों का ऐसा भी मानना है कि गुरु ग्रन्थ साहिब बे बाबा फरीद के नाम से लिखी जाने वाली कविताये जमाली ने लिखी थी | इस मस्जिद की नीव मुगलकालीन तरीके से रखी गयी लेकिन ये समय के साथ धुंधली हो गयी | यहा पर प्रचलित अनहोनी घटनाओ की वजह से लोग यहाँ आने से डरते है
जमाली कमाली के बारे में कई भ्रान्तिया प्रचलित है कि जमाली कमाली की रूह जिन्नों के साथ रहती है | कुछ लोगो का ये भी मानना है कि रात को यहा बिजली झपकना , जानवरों के चिल्लाने और अदृश्य परछाइयो को देखा गया है जैसे कि कोई आपके नजदीक खड़ा हो और आप उसे देख नहीं पा रहे हो | कुछ लोगो ने ये भी बताया कि मीनार के नजदीक कोई थूकता है लेकिन नजर नहीं आता है | यहा पर रात को चलने वाली हवाए इस जगह को ओर ज्यादा डरावनी बना देती है | सबसे ज्यादा प्रसिद कहानी ये है कि रात को यहा पर जिन्न लोगो को थप्पड़ मारते है |
वैसे पर ज्यादातर लेखो में इस जगह पर जिन्नों के होने का उल्लेख किया गया है| मुस्लिम मान्यता के अनुसार अल्लाह ने इंसानों को रेत से और जिन्नों को आग से बनाया है और जिन्न भी इंसानों की तरह अच्छे और बुरे दोनों तरह के होते है | कई बार जिन्न इंसानी दुनिया में प्रवेश कर जाते है और वीरान जगहों पर अपना कब्ज़ा कर लेते है ऐसा ही वाकिया इस जगह पर हुआ कि कई सालो से ये जगह वीरान थी जब तक कि ASI ने इसे सरंक्षित नहीं कर लिया | जिन्नों ने इस जगह को अपना गढ़ बना लिया और हर रात उनकी यहा पर महफिल लगती है|
हालांकि इस मस्जिद जमाली कमाली की रखवाली करने वाले चौकीदारों ने यहा पर भूतो और जिन्नों के होने को नकार दिया है लेकिन जगह प्रख्यात होने के बजाय इन कहानियों की वजह से कुख्यात हो गयी | इन कहानियों के चलते कई लोग इस मस्जिद में घुमने आते है और इसके रहस्य को ढूंढते रहते है | मित्रो अगर आपने ये जगह देखी हो तो आप इस जगह के रहस्य और अनुभव को अपने कमेंट के जरिये जरुर बताये |
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