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    एमसीडी में लागू नहीं होता दलबदल कानून: मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में आप का रसता नहीं आसान, बीजेपी देगी टक्कर

    एमसीडी में लागू नहीं होता दलबदल कानून: मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में आप का रसता नहीं आसान, बीजेपी देगी टक्कर

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    We News 24 Digital»रिपोर्टिंग सूत्र  ब्यूरो रिपोर्ट 

    नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश भाजपा ने एमसीडी में बहुमत से दूर रहने के बाद भले ही सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने का एलान कर दिया है, लेकिन वह महापौर व उपमहापौर के चुनाव में आम आदमी पार्टी को वॉकओवर नहीं देगी। इन दोनों पदों के चुनाव में आप को कड़ी टक्कर देने के लिए भाजपा जुट गई है। भाजपा ने महापौर, उपमहापौर व स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के संबंध में रणनीति बनाने के लिए एमसीडी में बड़े पदों पर रहे अपने नेताओं को जिम्मेदारी दी है।


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    भाजपा ने महापौर व उपमहापौर के चुनाव में आप को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। उसे लगता है कि एमसीडी में महत्वपूर्ण पद नहीं मिलने से वंचित रहने वाले आप के पार्षद क्रॉस वोट कर सकते हैं, क्योंकि एमसीडी में इस तरह के मामले होते रहे हैं। वर्ष 2014 में बहुमत होने के बावजूद भाजपा दक्षिण दिल्ली नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में एक वोट से ही जीत पाई थी, जबकि वह उपमहापौर के चुनाव में 13 वोट से हार गई थी। दरअसल एमसीडी में दलबदल कानून लागू नहीं होने के कारण व्हीप जारी करने का प्रावधान नहीं है। 


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    इसके मद्देनजर भाजपा ऐसे पार्षदों को महापौर व उपमहापौर का चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है जो आप के पार्षदों में सेंध लगा सकें। भाजपा महापौर पद के लिए नीलम पहलवान व कमलजीत सहरावत और उपमहापौर पद के लिए गुलाब सिंह राठौर, प्रवेश वाही आदि पार्षदों को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में भी वह मजबूत पार्षदों को ही मौका देने पर विचार कर रही है।


    स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में भी भाजपा देगी झटका 

    एमसीडी सदन से स्थायी समिति के चुने जाने वाले छह सदस्यों के चुनाव में भी भाजपा ने आम आदमी पार्टी को झटका देने की रणनीति पर कार्य आरंभ किया है। भाजपा इन छह पदों में से तीन पदों पर उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। दरअसल उसे तीसरे सदस्य की जीत के लिए बहुत कम वोट की आवश्यकता है, जबकि आम आदमी पार्टी के तीन सदस्य आसानी से जीत जाएंगे, लेकिन उसके पास चौथे सदस्य की जीत के लिए वोट काफी कम है। एमसीडी सदन में स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में राज्यों की विधानसभा में राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव की भांति वोट डालने व उनकी गणना करने का प्रावधान है। 


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    इसके अलावा स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में केवल पार्षद ही मतदान करते हैं। इस तरह एक सदस्य को जीत के लिए 42 वोट की आवश्यकता होगी। आप को अपने चार सदस्यों की जीत के लिए 166 वोट चाहिए, जबकि उसके पास 135 वोट हैं। लिहाजा उसके पास 31 वोटों की कमी है और चौथे सदस्य की जीत पहले तीन सदस्यों को मिलने वाली 126 वोटों की दूसरी प्राथमिकता के वोटों पर निर्भर रहेगी। उधर भाजपा के दो सदस्य आसानी से जीत जाएंगे और उसे तीसरे सदस्य के लिए 20 वोट की आवश्यकता होगी, मगर इन वोटों की कमी पूरी होने का मामला उसके पहले दो सदस्यों को मिलने वाले 84 वोटों की दूसरी प्राथमिकता के वोटों के भरोसे होगा। इस तरह छठे सदस्य का चुनाव काफी रोचक होने की संभावना रहेगी।


    एमसीडी में सदन में आप का है बहुमत

    एमसीडी के सदन में 274 सदस्यों को मतदान करने का अधिकार होगा, जिनमें 250 पार्षद, 10 सांसद व 14 विधायक शामिल होंगे। सदन में आम आम आदमी पार्टी के अपने 134 पार्षद हैं और उसे एक निर्दलीय पार्षद का भी समर्थन मिलने की संभावना है। इसके अलावा उसके तीन राज्यसभा सांसद भी हैं, वहीं दिल्ली विधानसभा सेे उसके 14 विधायकों को मनोनीत करने की उम्मीद है। इस तरह आम आदमी पार्टी के पास 152 वोट होंगे और उसे महापौर व उपमहापौर चुनाव में जीत के लिए 138 वोट की आवश्यकता होगी।

    भाजपा बहुमत से दूर होने के बावजूद आप को टक्कर देने में जुटी

    एमसीडी के सदन में भाजपा के 104 पार्षद हैं और दो निर्दलीय पार्षद उसके साथ आ सकते हैं, क्योंकि ये दोनों पार्षद एमसीडी के चुनाव से पहले तक भाजपा के सदस्य थे। इसके अलावा भाजपा के सात लोकसभा सांसद हैं। लिहाजा उसके पास अधिकतम 113 वोट हैं। इस कारण वह जीत के आंकड़े से 25 अंक दूर है। सदन में कांग्रेस के नौ सदस्य हैं, लेकिन उनके भाजपा व आम आदमी पार्टी में से किसी के भी साथ आने की संभावना नहीं है। वह मतदान से बाहर रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में महापौर व उपमहापौर के चुनाव में जीत का आंकड़ा कम हो जाएगा और जीत के लिए 133 वोट की आवश्यकता होगी।

    विधानसभा से सदस्य मनोनीत करने पर भाजपा कोर्ट जाएगी

    एमसीडी में विधानसभा से मनोनीत किए जाने वाले 14 विधायकों में कम से कम एक विधायक भाजपा अपना मनोनीत कराना चाहती है। भाजपा का कहना है कि सदन से प्रतिवर्ष अलग-अलग 20 प्रतिशत विधायक मनोनीत करने का प्रावधान है। सदन में उसके 10 प्रतिशत से अधिक विधायक हैं। इस कारण उसका एक विधायक मनोनीत होना चाहिए। भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने संकेत दिए हैं कि उनका विधायक मनोनीत नहीं किए जाने की स्थिति में वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। लिहाजा महापौर के चुनाव में विधायकों के वोट करने का मामला खटाई में पड़ सकता है। 

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