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    NIA ने मुकेश अंबानी के घर बम कांड की गुत्थी सुलझाई,मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाझे अपनी खोई इज्जत वापस पाने को ने रची थी साजिश





    We News 24 Hindi » मुंबई 
    रघु जाधव  की रिपोर्ट


    मुंबई :  एंटीलिया' मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिले संदिग्ध स्कॉर्पियो की रहस्यमयी गुत्थी सुलझ गई है। मुंबई में कारोबारी मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटक मामले पर एनआईए के अधिकारियों  के मुताबिक इस पूरी घटना का मास्टर माइंड   सचिन  वाझे  है और उसने  अपनी खोई इज्जत पाने की खातिर ये सब किया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को  बताया कि  मुकेश अंबानी के घर के बाहर बम कांड के पीछे मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाझे का हाथ है , जो एक  पुलिस अधिकारी के तौर पर खुद की काबिलियत दिखाने और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने के लिए इस पूरे प्रकरण को अंजाम दिया। 


    मुंबई क्राइम ब्रांच के क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के पूर्व प्रमुख सचिन वाझे शुरू में इस मामले के जांचकर्ता थे, मगर बाद में 8 मार्च को यह केस एनआईए को ट्रांसफर कर दिया गया  और 13 मार्च को सचिन वाझे की गिरफ्तारी हुई। बता दें कि 25 फरवरी को अंबानी के घर के बाहर एक संदिग्ध स्कॉर्पियो कार मिली थी, जिसमें जिलेटिन की 20 छड़ें बरामद की गई थीं। 

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    नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर एनआईए के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सचिन वाझे 25 फरवरी को खुद स्कॉर्पियो कार चला रहे थे और एक इनोवा, जो मुंबई पुलिस की थी, उनके पीछे थी। अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो को पार्क करने के बाद सचिन वाझे इनोवा में बैठ गए और वहां से निकल गए। हालांकि, अधिकारियों ने इस बात की डिटेल नहीं दी कि आखिर वे इस निष्कर्ष तक कैसे पहुंचे। 

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    मुंबई में घंटों छापेमारी और कई सबूत हाथ लगने के बाद एंटीलिया केस में जांचकर्ताओं ने आतंकी एंगल को खारिज कर दिया। एनआई ने कहा कि हमने एक मर्सिडीज को जब्त कर लिया है और जांच के दौरान यह पता चला कि कार का इस्तेमाल सचिन वाझे द्वारा किया गया था, हालांकि मालिक की पहचान अभी तक नहीं की गई है। काले रंग की मर्सिडीज कार की सर्चिंग करने के बाद एनआईए के अधिकारी अनिल शुक्ला ने बताया कि 'एनआईए ने काले रंग की मर्सिडीज बेंज को जब्त कर लिया है। इसमें स्कॉर्पियो कार की नंबर प्लेट, 5 लाख रुपये से अधिक की नकदी, एक नोट गिनने की मशीन और कुछ कपड़े बरामद हुए हैं। सचिन वाझे इस कार को चलाते थे लेकिन यह किसकी है इसकी जांच की जा रही है।' कहा जा रहा है कि इसी गाड़ी को मनसुख हिरेन ने 17 फरवरी को इस्तेमाल किया था।

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    एनआईए की टीम को सचिन वाझे के दफ्तर की तलाशी के दौरान वहां से कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जैसे लैपटॉप, आई-पैड और मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। एनआईए ने केरोसिन और डीजल से भरे कुछ कंटेनरों को भी बरामद किया है, जिसे लेकर एजेंसी का मानना है कि स्कॉर्पियो चालक द्वारा पहने गए पीपीई किट कपड़े को जलाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। बता दें कि अंबानी के घर के बाहर सीसीटीवी फुटेड में पीपीई किट में ड्राइवर दिखा था। 

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    गौरतलब है कि सचिन वाझे को साल 2004 में एक कस्टोडियल डेथ के मामले में सस्पेंड कर दिया गया था। वे बीते 16 सालों से सस्पेंड थे और साल 2020 में उद्धव सरकार ने उन्हें बहाल किया था। माना जा रहा है कि वह मुंबई पुलिस की नजर में हीरो बनने के लिए इस साजिश को अंजाम दिया था। एनआईए के एक अधिकारी कहा कि सचिन वाझे मुंबई पुलिस के सामने यह साबित करना चाहते थे कि वह अभी भी एक बम की साजिश को हल करने के रूप में काफी अच्छे हैं। इसलिए उसने एंटीलिया के बाहर विस्फोटक लगाने के लिए इस पूरे प्रकरण की योजना बनाई। वह फिर से लाइमलाइट में आना चाहते थे। इसी वजह से उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया।

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    नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर एनआईए के अधिकारी ने कहा कि हालांकि, वास्तव में वह जो चाहते थे, वह उन्हें मिला। क्राइम ब्रांच यूनिट में उन्हें स्कॉर्पियो मामले का जांच अधिकारी बनाया गया था और चार दिनों के दौरान उन्होंने जांच को संभाला और जो गलतियां उनसे 25 फरवरी को की थी, उसे ढंकने की पूरी कोशिश की, जिसमें उन्होंने सीसीटीवी फुटेज के सबूत मिटाने भी शामिल थे। 


    एनआईए अधिकारी ने कहा कि सचिन वाझे ने शायद कभी नहीं सोचा था कि इस मामले की जांच एनआईए को मिल जाएगी और अपनी खोई हुई इज्जत को हासिल करने की उनकी योजना विफल हो जाएगी। सचिन वाझे की ओर शक की सुई उस वक्त गई जब मनसूख हिरने की मौत होई। हिरेन ने पुलिस को बताया था कि उसके घर से स्कॉर्पियो चोरी हो गई है। वाजे की यूनिट ने भी हिरेन से पूछताछ की थी। 

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    कौन हैं सचिन वाझे?

    बता दें कि 49 वर्षीय सचिन वाझे कभी दया नाइक और प्रदीप शर्मा जैसे अधिकारियों के साथ एक प्रसिद्ध एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे। ख्वाजा यूनिस की कथित हिरासत में मौत के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। 49 साल के वाझे महाराष्ट्र के कोल्हापुर के रहने वाले हैं और वह 1990 में एक सब-इंस्पेक्टर के रूप में महाराष्ट्र पुलिस में भर्ती हुए थे। सबसे पहले उनकी पोस्टिंग नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली में हुई थी और फिर ठाणे में तैनाती हुई। मुंबई पुलिस में आने के बाद वह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में मशहूर हुए। वाझे ने अंडरवर्ल्ड के कई गैंगस्टर्स के एनकाउंटर में हिस्सा लिया। बताया जाता है कि उन्होंने 5 दर्जन से अधिक अपराधियों को इन मुठभेड़ों में मार गिराया। बताया जाता है कि वाझे टेक्नॉलजी की अच्छी जानकारी रखते हैं और उन्होंने कई साइबर क्राइम और आपराधिक केसों को भी उन्होंने सुलझाया था। 


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