क्या आप जानते हैं प्लास्टिक का आविष्कार कब हुआ था? भारत ने सिंगल यूज प्लास्टिक को क्यों बंद किया?
नई दिल्ली, इस महीने से चुनिंदा सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध के साथ, भारत ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक वैश्विक उदाहरण स्थापित किया है ,सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के मामले में भारत ने दुनिया के लिए की एक मिसाल कायम । सिंगल यूज प्लास्टिक आमतौर पर ऐसी वस्तुएं होती हैं जिन्हें केवल एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है और रीसाइक्लिंग प्रक्रिया से नहीं गुजरता है। दुनिया भर में प्लास्टिक के भारी उपयोग ने काफी खतरा पैदा कर दिया है, सरकारें और विभिन्न वैश्विक नियामक निकाय इसे रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
सरकार के साथ कई गैर सरकारी संस्था भी इस अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है ,ऐसी ही एक संस्था है एक कदम फाउंडेशन जो दिल्ली नगर निगम के साथ मिलकर दुकानदार और लोगो को जागरूक कर रही है .एक कदम फाउंडेशन के अध्यक्ष संध्या सिंघल लोगो को इससे होने वाले नुकसान के बारे में भी बता रही है ,संध्या सिंघल ने कहा की आज प्लास्टिक पूरी दुनिया में पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुयी है और हमे प्रकृति को बचाना है उन्होंने लोगो से अपील की वो कपडे या जुट का थैला का प्रयोग करे ,
यह भी पढ़ें-प्रारम्भिक शिक्षक कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा,सरकार स्थानांतरण को लेकर गम्भीर नहीं है ।
देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात पर लगी रोक
भारतीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर एक रिपोर्ट से पता चला कि भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 11 किलोग्राम है, जबकि प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत का वैश्विक औसत 28 किलोग्राम है, है। भारत ने 1 जुलाई, 2022 से पूरे देश में पहचान की गई सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टाकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। 1 जुलाई से कम उपयोगिता और उच्च कूड़े की क्षमता वाली पहचान की गई एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टाकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लागू हो गया है। प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में शामिल हैं-
यह भी पढ़े-33 साल बाद डा. रुबिया सईद ने पहचाना अपने अपहरणकर्ताओं को ,जानें किस मामले में कितनी सजा?
-- प्लास्टिक के साथ ईयरबड्स लाठी
-- गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ें
-- प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ें
-- आइसक्रीम की छड़ें
-- सजावट के लिए पालीस्टाइनिन (थर्मोकोल)
-- प्लास्टिक की प्लेट
-- कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, रैपिंग या पैकिंग फिल्म मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण पत्र, सिगरेट के पैकेट
-- प्लास्टिक या पीवीसी बैनर 100 माइक्रोन से कम, स्टिरर।
यह भी पढ़ें-296 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे उद्घाटन
विश्व में प्लास्टिक रिसाइक्लिंग दर सिर्फ 9 प्रतिशत
भारत के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट (2019-20) में कहा गया है कि भारत में सालाना 35 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। सीपीसीबी ने 'लखनऊ डंपसाइट्स पर मिट्टी और पानी की गुणवत्ता पर प्लास्टिक अपशिष्ट निपटान के प्रभाव' पर अपनी रिपोर्ट में पाया था कि प्लास्टिक कचरे को डंप करने से मिट्टी और भूमिगत जल की गुणवत्ता खराब हो सकती है। विश्व स्तर पर प्लास्टिक कचरे के पुन: उपयोग, कमी और रीसाइक्लिंग पर ध्यान केंद्रित करने वाले सुव्यवस्थित पीडब्लूएम के अभाव में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर खतरा बन चुका है। विश्व में प्लास्टिक रिसाइक्लिंग दर सिर्फ 9 प्रतिशत है। सभी विकसित और विकासशील देश व्यक्तिगत रूप से प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए कदम उठा रहे हैं, लेकिन इसका दायित्व मुख्य रूप से विकासशील देशों पर है।
यह भी पढ़ें-क्या आपने 16 जुलाई शनिवार 2022 का अख़बार पढ़ा ? पढ़े वी न्यूज 24 राष्ट्रीय हिंदी दैनिक
आज हर जगह है प्लास्टिक की मौजूदगी
प्लास्टिक का आविष्कार पहली बार 1907 में हुआ था। दरअसल, यह अन्य सामग्रियों की तुलना में सस्ता और अधिक सुविधाजनक था। आज, प्लास्टिक हमारे पैसे से लेकर इलेक्ट्रानिक उपकरणों तक लगभग हर चीज में मौजूद है और इसका उपयोग पैकेजिंग, भवन, निर्माण, परिवहन, औद्योगिक मशीनरी और स्वास्थ्य सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है। 1950 से 2015 तक, वैश्विक स्तर पर लगभग 8.3 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया गया था, और इसमें से 80 प्रतिशत - 6.3 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे के रूप में दर्ज किया गया था।
इस आर्टिकल को शेयर करे .
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद