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    आजादी के 75 साल बाद भी पलवल जिले के बागपुर माला सिंह फार्म के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से हैं वंचित .


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    We News 24 Digital»रिपोर्टिंग सूत्र  दीपक कुमार 

    नई दिल्ली : एक तरफ देश आजादी के 75वें वर्षगांठ अमृत महोत्सव को मना रहा है। वहीं आज भी देश के कई जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के वाशिंदे समस्याओं से जकड़े हुए हैं। यहां सड़क-पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच सकी हैं। ऐसा ही गांव बागपुर, माला सिंह फार्म है। पलवल जिले  में बसे इस गांव के लोग विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं।


    जिला  मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर बागपुर, माला सिंह फार्म के लोग वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हें सुलभ जीवनयापन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें मताधिकार तो मिला है लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वालों तक सीमित है। चुनाव जीतने के बाद सरपंच से लेकर विधायक-सांसदों को इस गांव की बेहतरी के लिए समय नहीं मिला। ये हालात एकदम से  नहीं बने, बल्कि आजादी के बाद से ही उपेक्षा का दंश इस गांव के लोग भोगते आ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार इस गांव में न तो पेयजल की उपलब्धता के लिए कोई सरकारी योजना संचालित है, न ही पक्का मार्ग ही यहां निर्मित हो सका है। इसके अलावा उनका जीवन नरक समान है। यदि किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए तो यहां पर एंबुलेंस आदि का आना नामुमकिन है। ग्रामीण ही अपने बीमार स्वजन को चारपाई पर लेटाकर उसे कांधे पर रखकर शहर की ओर भागते हैं। 

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    बात करने पर ग्रामीणों का आक्रोश भी सामने आ जाता है। उनके अनुसार देश की आजादी को भले ही 75 साल से अधिक का वक्त हो गया हो लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला है।वे आज भी समस्यारूपी गुलामी में जीने को विवश हैं। उनका कहना है कि हरियाणा  सरकार द्वारा दर्जनों योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। ग्राम विकास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इसका लाभ भी बागपुर, माला सिंह फार्म के ग्रामीण  को नहीं मिला है। यहां पर शुद्ध  पेयजल का भी संकट बना हुआ है। ग्रामीण अपने ही बोड़ के  पानी पिने पर विवश । ग्रामीणों के अनुसार गांव में  ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों  को यहां के हालातों के बारे में पता है। इसे लेकर कई बार शिकायतें की गईं, राहत मांगी गई लेकिन हुआ गया, कुछ नहीं। यंहा के सरपंच  तमाशबीन बने हुए हैं। कोरी घोषणाएं करने के अलावा कोई राहत नहीं दे सके हैं।

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    इतना ही नहीं यंहा न स्वास्थ्य केंद्र, न आंगनबाड़ीः  गांवों में निवासरत गरीब, किसान वर्ग के उत्थान, पोषण आहार, स्वास्थ्य लाभ की उपलब्धता के दावों के  बागपुर, माला सिंह फार्म  अपवाद उदाहरण पेश कर रहा है। इस गांव में न तो कोई स्वास्थ्य केंद्र है, दीवान सिंह धानी के  ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के महीनो में  गर्भवती महिलाओं से लेकर किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए तो उसकी खैरियत का सहारा सिर्फ ईश्वरीय प्रार्थना है। 


    गांव के लोगों ने कहा है हमारे लिए जसवंत सिंह जस्सा एक मसीहा बन कर आये है जो हमारे गाँव का सरपंच  रघुविन्द्र सिंह ने  पिछले 13 सालो में कुछ नहीं किया नहीं गरीब लोगो का राशन कार्ड बनवाया नाही लोगो को आवास योजना दिलाया नहीं कोई रास्ता बनवया और नाही गाँव से पानी की निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था किया इन 13 सालो तक  सरपंच  रघुविन्द्र सिंह सिर्फ लुटने का काम किया है .लेकिन जसवंत सिंह जस्सा किसी पद नहीं होते हुए भी उन्होंने हमारे लोगो के लिए सोचा और जो रास्ता चलने के काबिल नहीं था उस रास्ते पर तकरीबन 15 से 20 लाख रुपया खर्च कर मिटटी डलवाया इसके आलावा उन्होंने लाईटे भी लगवाया तो हम लोगो को तो जसवंत सिंह जस्सा जैसा  सरपंच चाहिए ना कि रघुविन्द्र सिंह जैसा लुटेरा .

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